दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार को भी इस बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। दोनों को चाहिए कि वह इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई का रास्ता ढूंढे।  

देश की राजधानी में हिट एंड रन का फिर से एक दर्दनाक मामला सामने आना चिंताजनक है। मियांवाली नगर थाना क्षेत्र में एक तेज रफ्तार मर्सिडीज ने स्कूटी सवार को टक्कर मार दी। इस स्कूटी पर सवार छात्र करीब दस फीट उछलकर दूर जा गिरा। विडंबना यह कि हादसे के बाद मर्सिडीज चालक ने कार की रफ्तार और बढ़ा दी। भागने के क्रम में कार चालक ने आगे जा रहे टेंपो को भी टक्कर मार दी। बेकाबू रफ्तार का यह कोई पहला मामला नहीं है। बीते दिनों एक तेज रफ्तार कार की चपेट में आने से फुटपाथ पर सो रहे एक मजदूर की मौत हो गई थी। सोचने वाली बात यह है कि दिल्लीवासी शायद पिछली घटनाओं से कोई सीख नहीं लेते। यही वजह है कि बार-बार इस तरह के हादसे हो रहे हैं लेकिन रफ्तार का जुनून तब भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बेकाबू रफ्तार का यह कहर कभी किसी हंसते खेलते परिवार को उजाड़ रहा है तो कभी किसी परिवार को। हैरत की बात यह भी कि पुलिस हाथ पर हाथ धरे मूकदर्शक बनी हुई है। आरोपी वाहन चालकों को भी पता होता है कि उनके खिलाफ ज्यादा से ज्यादा लापरवाही से वाहन चलाने या गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज होगा। आसानी से जमानत भी मिल जाएगी।
महानगरीय संस्कृति में लाइफस्टाइल ही कुछ ऐसी हो गई है कि सभी को सबकुछ फटाफट चाहिए। इस फटाफट का ही नतीजा है बेकाबू रफ्तार। खासतौर पर आज की नई पीढ़ी हर समय एक हड़बड़ाहट और अजीब सी जल्दबाजी में रहती है। यह जल्दबाजी ही अनावश्यक तनाव उत्पन्न करती है। महानगरीय जिंदगी के इसी तनाव को नशा और भी घातक बना देता है। जीवन में सबकुछ जल्दबाजी में नहीं पाया जा सकता। संयम भी जरूरी है। दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार को भी इस बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। दोनों को चाहिए कि वह इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई का रास्ता ढूंढे। जब तक ऐसा नहीं होगा इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी और किसी न किसी परिवार का चिराग बुझता रहेगा।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]