पंजाब सरकार की लेटलतीफी के कारण केंद्र सरकार की कई योजनाओं का समुचित लाभ समय पर राज्य की जनता को नहीं मिल पाता है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के मामले में यही हो रहा है। लुधियाना, अमृतसर व जालंधर का चयन इस प्रोजेक्ट के तहत हुआ है लेकिन अब तक तीनों ही शहरों में विकास कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं। लुधियाना का चयन पहले ही चरण में होने के बावजूद अब तक यहां कार्य भी अलाट नहीं हुआ है। प्रदेश सरकार की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीनों ही शहरों में महीनों बाद भी अब तक प्रोजेक्ट सलाहकार नहीं नियुक्त किए जा सके हैं। इस नियुक्ति के बिना प्रोजेक्ट का कोई भी कार्य आगे नहीं बढ़ सकता है।

जालंधर में प्रोजेक्ट सलाहकार नियुक्त करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में थी लेकिन सरकार बदलने के बाद यह फाइल रोक दी गई। मौजूदा सरकार का कहना है कि पूरे मामले का रिव्यू किया जाएगा। पूर्व सरकार के किसी भी फैसले का रिव्यू करना मौजूदा सरकार का विशेषाधिकार है लेकिन विकास कार्य ठप नहीं पड़ने चाहिए। मौजूदा सरकार के बने सौ दिन से ज्यादा हो गए हैं। सरकार को यह देखना होगा कि किस तरह से विकास कार्यो की गति को तेज किया जाए। केंद्र सरकार की ओर से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए राशि जारी कर दी गई है। पंजाब सरकार जब तक अपना हिस्सा नहीं देती और केंद्र से समन्वय नहीं बढ़ाती तब तक बात बनने वाली नहीं है।

सियासी खींचतान व लालफीताशाही के चक्कर में विकास कार्य प्रभावित नहीं होने चाहिए। इस प्रोजेक्ट के तहत यदि काम शुरू होता है तो सड़कों से लेकर साफ-सफाई व ट्रांसपोर्ट तक में बड़े बदलाव दिखेंगे। कई और जरूरी कार्यो में लेटलतीफी सामने आ रही है। मानसून सिर पर है लेकिन अभी तक सीवरेज लाइन, नालों व नालियों की सफाई का कार्य पूरा नहीं हो पाया है।

जाहिर सी बात है कि आलाधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा। इस तरह की लापरवाही हर साल देखने को मिलती है। सरकार को ऐसे मामलों को गंभीरता से लेना होगा। सरकार यदि इच्छाशक्ति दिखाए तो कोई कारण नहीं कि विकास कार्यो की रफ्तार सुस्त पड़ जाए।

[पंजाब संपादकीय]