राजधानी रांची में लगातार बढ़ रहे तापमान और दिन ब दिनटूट रहे रिकॉर्ड संभावित खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं। कभी अपने सदाबहार और खुशनुमा मौसम के लिए रांची प्रसिद्ध थी। यही कारण था कि एकीकृत बिहार में भी यह ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। अब साल दर साल यहां गर्मी के रिकॉर्ड टूटते जा रहे हैं। रविवार को राजधानी रांची में जून माह में गर्मी का 51 साल पुराना रिकार्ड टूट गया। मौसम विभाग के अनुसार जून 1966 में रांची का अधिकतम पारा 42.6 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था, जबकि रविवार चार जून को अधिकतम पारा 43 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। जून माह में अब तक इतनी गर्मी रांची में कभी नहीं पड़ी थी जितनी रविवार को रही। पूरे राज्य में अभी झुलसा देनेवाली गर्मी पड़ रही है। गढ़वा और पलामू जिले में अधिकतर पारा 45 डिग्री को पार कर गया है।
पूर्व में रांची के मौसम के विषय में यह अवधारणा थी कि यहां अगर पारा 30 या 32 डिग्री के ऊपर गया तो बारिश होनी है लेकिन अब ऐसा नहीं है। जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और लगातार पेड़ों की अंधाधुंध हो रही कटाई के साथ बढ़ता प्रदूषण इसकी सबसे बड़ी वजह है। अब खतरा सिर पर मंडराने लगा है। धरती पर उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइआक्साइड के प्रभाव को ये पेड़-पौधे ही कम करते हैं। पेड़-पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीजन देने के साथ-साथ धरती और वायुमंडल के विकिरण तथा बढ़ते तापमान को संतुलित रखते हैं। लेकिन यहां लगातार वनों की हो रही कटाई और बढ़ते प्रदूषण खतरनाक दिन की ओर संकेत कर रहे हैं। पिछले दिनों हाई कोर्ट ने भी पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा था कि विकास के लिए सड़कों व अन्य सुविधाओं के लिए पेड़ों को काटने की आवश्यकता होने पर भी इन्हें काटें नहीं, बल्कि इन्हें ट्री ट्रांसप्लांट मशीन की सहायता से उखाड़ कर दूसरी जगह शिफ्ट करें। जिससे विकास का कुप्रभाव वातावरण पर न पड़े।
अब सरकार के साथ हमें भी चेतना होगा, जंगलों की हरियाली फिर से वापस लानी होगी। एक पेड़ काटने की शर्त पांच पेड़ लगाने की हो। सरकार इसका कड़ाई से पालन कराए। पेड़ काटने की जगह इसे दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए ज्यादा से ज्यादा ट्री ट्रांसप्लांट मशीनें लाई जाएं। कारण, अब स्थिति बिल्कुल खतरे के स्तर तक पहुंच चुकी है।
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हाइलाइटर
खतरनाक स्तर तक बढ़ते तापमान को कम करने लिए जंगलों की हरियाली फिर से वापस लानी होगी। एक पेड़ काटने की शर्त पांच पेड़ लगाने की हो।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]