जम्मू संभाग के किश्तवाड़ जिले के मडवा में पुलिस कर्मियों द्वारा परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों को नकल करवाने का मामला शर्मनाक है। बेशक इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद दो पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया हो, लेकिन इससे यह साफ है कि नकल को रोकने के लिए की गई व्यवस्था पूरी तरह से नाकाम है। ऐसा पहली बार नहीं है जब दूरदराज के क्षेत्रों में नकल के मामले सामने आए हैं। इससे पहले भी कई जगहों पर जम्मू-कश्मीर स्टेट बोर्ड ऑफ स्कूल एजूकेशन के अधिकारियों ने नकल करते हुए विद्यार्थियों को पकड़ा है। विद्यार्थियों को यह समझना होगा कि वे नकल करने से पास हो सकते हैं, लेकिन इससे उनका और देश का भविष्य नहीं बन सकता। जम्मू-कश्मीर में शिक्षा की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। नई सरकार ने आते ही इसमें सुधार के लिए प्रयास जरूर किए, लेकिन अभी भी परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं मिले हैं। कई बार राज्य के शिक्षा मंत्री स्वयं भी यह स्वीकार कर चुके हैं कि शिक्षा के ढांचे को पटरी पर लाने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। हालांकि सरकार ने कम परीक्षा परिणाम लाने वाले स्कूलों के शिक्षकों की इंक्रीमेंट बंद करने का एलान किया है, लेकिन विडंबना यह है कि शिक्षकों ने भी शिक्षा में सुधार के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए। यह इसी का परिणाम है कि स्कूलों में नकल को बढ़ावा मिला। सरकार को अगर स्कूलों में नकल पर अंकुश लगाना है तो उसके लिए यह जरूरी है कि आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाया जाए। अभी भी कई स्कूलों में स्टाफ की कमी बनी हुई है। दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित स्कूलों का हाल बेहाल है। प्राथमिक शिक्षा में अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने के स्थान पर निजी स्कूलों में पढ़ाने को प्राथमिकता देते हैं। सरकारी स्कूल लगातार अभिभावकों के विश्वास को खोते जा रहे हैं। सरकार ने बच्चों को स्कूलों में आकर्षित करने के लिए कई रैलियां निकाली, लेकिन फिर भी अभिभावकों का विश्वास जीतने में नाकाम रहे। शायद यही कारण था कि सरकार ने कम विद्यार्थियों वाले सरकारी स्कूलों को बंद करना ही बेहतर समझा। अब नकल की घटनाएं स्कूलों की छवि को और नुकसान पहुंचा रही हैं। सरकार को चाहिए कि वे पुलिस कर्मियों के साथ परीक्षा केंद्र में नियुक्त अन्य स्टाफ सदस्यों के खिलाफ भी कार्रवाई करे, ताकि कोई भी नकल को बढ़ावा देने वालों का साथ देने का साहस न जुटा पाए। वहीं विद्यार्थियों को भी यह समझना होगा कि उनका भविष्य तभी उज्जवल हो सकता है जब वे मेहनत करके पढ़ें।

[स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर]