यूं तो पिछले विधानसभा व लोकसभा चुनावों में भी पंजाब में नशा मुद्दा रहा है लेकिन इस चुनाव में यह राजनीतिक दलों के एजेंडे में प्रमुखता से होगा, यह लगभग तय ही था। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य में नशे की तस्करी, इसके सेवन के मामले लगातार सामने आते रहे हैैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा होने के कारण यहां से नशे के साथ-साथ हथियारों की तस्करी की भी आशंका रही है। कई बार हथियार पकड़े भी गए हैैं। सीमा पार से हेरोइन जैसे महंगे नशे की बड़ी खेपें इस ओर पहुंचाने की कोशिशें हालांकि सुरक्षा बल कई बार नाकाम करते रहे हैैं फिर भी तस्करी पूरी तरह रोकी नहीं जा सकी है। यही नहीं, राज्य में भुक्की, चिट्टïा जैसे नशे का इस्तेमाल भी बड़े पैमाने पर किया जाता है, ऐसा कई सर्वेक्षणों वगैरह से साबित हो चुका है। बेरोजगारी के मारे कई युवा नशे की लत के शिकार होकर जिंदगी तबाह कर रहे हैैं। इस कारण अपराध भी बढ़े हैैं। चिंता का विषय बन चुके नशे ने जब एक भयावह सामाजिक कुरीति, कुप्रवृत्ति का रूप धारण किया तो धीरे-धीरे समाज के विभिन्न वर्गों के साथ-साथ सियासी दलों ने भी आवाज उठानी शुरू की। यह किसी से छिपा नहीं है कि इतने बड़े स्तर पर ऐसे गोरखधंधे बिना सियासी पहुंच के नहीं चलते। ड्रग्स के धंधे में कई बड़े लोगों के भी संलिप्त होने की भी बातें लगातार उठती रही हैैं। कुछ प्रभावशाली लोग बेनकाब भी हुए हैैं। जाहिर है कि यह सियासी मुद्दा बनना ही था। बनना भी चाहिए, लेकिन हैरानी की बात है कि सभी दल इसे अपने-अपने हिसाब से मुद्दा बना रहे हैैं। ऐसा लगता है कि सभी दल इस मुद्दे पर केवल एक-दूसरे को सियासी पटकनी देने की ही फिराक में ज्यादा हैैं। आम आदमी पार्टी व कांग्रेस का निशाना अकाली दल-भाजपा सरकार, खासकर उसके एक मंत्री हैैं जबकि अकाली दल यह मानने को ही तैयार नहीं है कि राज्य में नशा एक बड़ी समस्या है। वह इसके लिए पंजाब को बदनाम करने का आरोप इन दोनों दलों पर लगाती रही है। हैरानी की बात है कि दोनों दल नशे के धंधे में संलिप्त बड़े लोगों को जेल में डालने की तिथि भी तय कर रहे हैैं जबकि यह सभी को मालूम है कि ऐसा कितना संभव है। जनता को भ्रमित करने की बातें ज्यादा हो रही हैैं, नशे की समस्या को खत्म कैसे किया जाएगा, इसका कोई ठोस रोडमैप किसी ने नहीं रखा है। इससे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि राजनीतिक दल इस मुद्दे को लेकर वास्तव में गंभीर कम हैैं और दिखावा व सियासी रोटियां सेंकने का प्रयास ज्यादा कर रहे हैैं। यह बड़ा मुद्दा है। पंजाब के हित में सभी दलों को इस मामले में गंभीरता दिखानी होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]