अपराध के ग्राफ में तेज वृद्धि गंभीर चिंता का विषय है। अपराधी खुलेआम अपने इरादों को अंजाम दे रहे हैं और पुलिस की उपस्थिति या कानून का भय किसी स्तर पर दिखाई नहीं दे रहा। विगत एक माह में हत्या के तीन दर्जन से अधिक ऐसे मामले हुए जो पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं। हिसार में अदालत परिसर में पेशी के लिए लाए गए शातिर अपराधी की पुलिस की मौजूदगी में गोली मार कर हत्या कर दी गई, एक पुलिसकर्मी भी घायल हुआ। तथ्य सामने आया कि यह गैंगवार की एक कड़ी थी, बाकायदा मुखबिरी हुई और आसानी से एक गिरोह के गुर्गे ने प्रतिद्वंद्वी गुट के बदमाश को मार गिराया।

दो दिन पूर्व पानीपत में आसाराम और नारायण साई मामले के मुख्य गवाह को गोली मार दी गई। हिसार के ही घिराय गांव में मां-बेटे की गोली मार कर हत्या हुई, हमलावर शवों को भी उठा ले गए। दो महिला पुलिसकर्मियों का नाम इस हत्याकांड में आया। भिवानी में पांच दिन पूर्व बैंक में सुरंग खोद कर करोड़ों रुपये उड़ाने की कोशिश हुई। औसतन दो-तीन एटीएम तोड़ने या उखाड़ कर ले जाने की घटनाएं हर दिन सामने आ रही हैं।

तात्पर्य यह है कि राज्य में असंगठित व नियोजित, दोनों तरह के अपराधों में भारी वृद्धि हुई जो शासन-प्रशासन के हर दावे को ध्वस्त कर रही है। सवाल उठ रहा है कि अपराधियों के हौसले इतने बुलंद कैसे हो गए? हथियारों की उपलब्धता इतनी सहज कैसे हो गई? क्या दिल्ली से निकटता हरियाणा की सुरक्षा-व्यवस्था के लिए घातक साबित होने जा रही है? वरिष्ठ अधिकारियों को बताना चाहिए कि अपराध पर नियंत्रण के लिए उनके पास क्या कार्य योजना है और वे उस पर अमल कितने दिन में करेंगे?

पुलिस की कार्यशैली में बदलाव की सख्त आवश्यकता है। अपराधों का बढ़ना यही संकेत देता है कि अपराधियों ने पुलिसवालों को कानून व समाज के रक्षक के बजाय केवल खाकी वर्दीधारी सरकारी कर्मचारी मानना आरंभ कर दिया है। गैंगवार शुरू होना गंभीर संकट का कारण बन सकता है। पुलिस कर्मचारियों का मनोबल ऊंचा रखने के लिए विशेष काउंसिलिंग व दक्षता विकास की नितांत आवश्यकता है। परंपरा से हट कर उन्हें वर्तमान माहौल के अनुसार विशेष प्रशिक्षण देकर आधुनिक हथियारों व उपकरणों से लैस किया जाए। अन्य आवश्यक उपायों के साथ अधिकारियों की जवाबदेही को और स्पष्ट करने से ही अपराधमुक्त हरियाणा का सरकार का लक्ष्य पूरा होना संभव है।

(स्थानीय संपादकीय-हरियाणा)