पंजाब में दस साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से पूर्व अपने घोषणा पत्र में यह कहा था कि वह प्रदेश से भ्रष्टाचार, नशा, अपराध आदि को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाएगी। यही कारण है कि यह सरकार पूर्ववर्ती अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार के कार्यकाल के दौरान कुछ हलकों में वितरित की गई ग्रांटों की जांच करवाना चाहती है। खासकर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल व पूर्व मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया व सिकंदर सिंह मलूका के हलकों में वितरित ग्रांटों को नियम विरुद्ध मानते हुए पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने रिपोर्ट तलब कर ली है। उनका मानना है कि इन लोगों के पसंदीदा हलकों में नियमों को ताक पर रखकर बेहिसाब ग्रांटें बांटी गईं, जबकि कई हलकों पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया। इसके अतिरिक्त नई सरकार ने स्थानीय निकाय विभाग में पिछले तीन साल में हुए दस करोड़ से अधिक लागत वाले विकास कार्यो का थर्ड पार्टी ऑडिट करवाने का भी फैसला लिया है। यह अक्सर देखा गया है कि जब भी नई सरकार का गठन होता है तो वह पूर्व सरकार के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की जांच करवाती है और इसे गलत भी नहीं कहा जा सकता है। यदि कहीं कुछ गलत या नियम विरुद्ध हुआ है अथवा विकास कार्यो में पक्षपात किया गया है तो उसकी जांच होनी ही चाहिए, लेकिन इस बात का ध्यान भी रखा जाना चाहिए कि यह सही मकसद के लिए हो, न कि महज बदले की भावना से। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही यह कह चुके हैं कि उनकी सरकार बदले की भावना से कार्य नहीं करेगी। उम्मीद है कि सरकार उचित मंतव्य के साथ कार्य करेगी साथ ही इससे सबक भी सीखने का प्रयास करेगी। किसी भी सरकार का यह दायित्व होता है कि वह पूरे प्रदेश का समान विकास करे। नई सरकार को ऐसी व्यवस्था का निर्माण भी करना चाहिए, जिससे उसके कार्यकाल में पूर्व सरकार जैसी गलतियां न दोहराई जाएं और प्रदेश के सभी हलकों का समान विकास सुनिश्चित हो सके।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]