------107 वर्ष पहले बने मौजूदा अधिनियम में कड़ी सजा नहीं है, इसलिए धड़ल्ले के साथ शराब की तस्करी हो रही है। -------अवैध शराब से होने वाली मौतों को रोकने के लिए योगी सरकार ऐसा कानून बनाने जा रही है जिससे अवैध शराब पीने से मौत होने पर दोषियों को मृत्युदंड तो मिलेगा ही, उन्हें बड़ा जुर्माना भी भरना होगा। 15 मई से होने जा रहे विधानमंडल के सत्र में ही इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही संशोधित आबकारी कानून लागू हो जाएगा। अवैध शराब का कारोबार और उससे मौतों का इतिहास काफी पुराना है। अवैध शराब के सेवन से जब भी मौतें होती हैं, प्रशासन और पुलिस कुछ दिन तो सख्ती दिखाती है। लगता है कि अब अवैध शराब के सेवन से होने वाली मौतों का सिलसिला थम जाएगा, अवैध शराब कतई नहीं बिक पाएगी लेकिन, कुछ दिनों बाद ही यह चोखा धंधा फिर से फलने-फूलने लगता है। 107 वर्ष पहले बने मौजूदा अधिनियम में कड़ी सजा नहीं है, इसलिए धड़ल्ले के साथ शराब की तस्करी हो रही है। कानून लचर होने से अवैध शराब डंके की चोट पर बनाई और बेची जा रही है। अब आबकारी अधिनियम की दो दर्जन से अधिक ऐसी धाराओं में संशोधन किया जा रहा है जिनमें सजा और जुर्माने का प्रावधान है। मौजूदा कानून के तहत अवैध शराब के कारोबारियों को अभी जहां छह माह तक ही जेल हो सकती है, वहीं जुर्माना भी अधिकतम पांच हजार रुपये है। नया कानून लागू होने के पश्चात दोषियों को मृत्युदंड तक दिया जा सकेगा। 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने के साथ ही आजीवन कारावास की कठोर सजा भी सुनाई जा सकेगी। फिलवक्त शराब में मिलावट पर छह माह का कारावास और दो हजार रुपये का अर्थदंड है। अब सरकार एक वर्ष की जेल और पांच हजार रुपये अर्थदंड लगाने का कानून बना रही है। मादक वस्तुओं को रखने की सजा को भी तीन माह से बढ़ाकर न्यूनतम छह माह और अर्थदंड को दो हजार से पांच हजार रुपये किया जा रहा है। अवैध शराब के कारोबारियों से मिलीभगत रखने वाले अफसरों के कर्तव्यपालन में हीला-हवाली पाए जाने पर उन्हें भी कठोर दंड देने का प्रस्ताव है। उम्मीद है कि अवैध शराब के सेवन से मौत की खबर अब गुजरे जमाने की बात होगी। अवैध शराब बनाने और शराब की तस्करी करने वाले सावधान हो जाएं।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]