नारद स्टिंग कांड का मामला कलकत्ता हाईकोर्ट में विचाराधीन है। हाईकोर्ट के निर्देश पर वीडियो फुटेज की जांच हो रही है। वीडियो फुटेज की सत्यता की जांच के लिए उसे हैदराबाद के बाद चंडीगढ़ फॉरेंसिक लैब में भेज दिया गया है। कोर्ट के निर्देश पर जांच प्रक्रिया आगे बढ़ ही रही थी कि बीच में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नारद स्टिंग कांड की जांच कोलकाता पुलिस से कराने की घोषणा कर दी। मुख्यमंत्री के निर्देश मिलते ही कोलकाता पुलिस ने इस मामले में पृथक जांच प्रक्रिया शुरू कर दी। सवाल उठता है कि एक मामले की जांच जब उच्च न्यायालय कर रहा है तो क्या पुलिस उसके समानांतर जांच कर सकती है? इसका उत्तर कलकत्ता हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर के उस बयान से मिल जाएगा जिसमें उन्होंने कहा है कोई कहीं कुछ भी करे नारद स्टिंग कांड में कोर्ट जो फैसला देगा वहीं मान्य होगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि अदालत में विचाराधीन किसी मामले की पृथक जांच अनुचित है। मुख्य न्यायाधीश के इस तरह कड़ा रुख अख्तियार करने से इस मामले में पुलिस की जांच को किसी नतीजे पर पहुंचने पर संदेह पैदा हो गया है।

यहां यह बताना प्रासंगिक है कि चुनाव के समय नारद स्टिंग आपरेशन में तृणमूल कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं को घूस लेते हुए दिखाया गया था जिसमें कुछ मंत्री और सांसद भी शामिल थे। चुनाव के समय इस तरह के स्टिंग आपरेशन टीवी पर दिखाने से विपक्षी दलों को एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया था। तृणमूल कांग्रेस के जिन नेताओं को घूस लेते हुए दिखाया गया था उसमें से कुछ चुनाव में उम्मीदवार भी थे। विपक्षी दलों को शांत करने के लिए ममता ने एक सभा में कहा था कि उन्हें पहले पता होता जिन लोगों को घूस लेते हुए दिखाया गया है उन्हें वह चुनाव में टिकट नहीं देतीं। पूर्ण बहुमत से चुनाव जीतने के बाद ममता का रुख भी बदल गया। इस मामले में ममता ने अपने जिन नेताओं की आलोचना की थी चुनाव जीतने के बाद वह उनकी बचाव में उतर गईं।

मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के बावजूद मुख्यमंत्री ने पुलिस से घटना की जांच कराने की घोषणा कर दी। बेसक एक निर्वाचित सरकार को किसी घटना की पुलिस से जांच कराने का अधिकार है। लेकिन जिस घटना में सरकार के मंत्री और सत्तारूढ़ दल के नेता संलिप्त हों उस घटना की पुलिस से निष्पक्ष जांच पर संदेह पैदा होता है। पुलिस ने अपनी जांच प्रक्रिया में नारद न्यूज के प्रमुख मैथ्यू सैमुअल को पुलिस मुख्यालय लालबाजार में हाजिर होने के लिए कई बार नोटिस भेजी। सैमुअल ने नोटिस का जवाब दिया और कोर्ट में मामला विचाराधीन होने का हवाला देकर पुलिस के समक्ष उपस्थित होने से इन्कार कर दिया। पुलिस की जांच इससे आगे नहीं बढ़ सकी।

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]