रोहिणी के एक अपार्टमेंट में सेंधमारी के लिए पहुंचे बदमाशों द्वारा पुलिस पर गोलीबारी करने, वसंत विहार ट्रैफिक सर्कल में एएसआइ को बाइक सवार युवकों द्वारा टक्कर मारने और अंबेडकर नगर में तीन बदमाशों द्वारा एक सिपाही से लूटपाट करने की घटना राजधानी में पुलिस के खत्म होते जा रहे खौफ का पुख्ता नमूना है। इससे पता चलता है कि राजधानी में अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद हो चुके हैं कि वे अब कहीं भी और किसी के भी साथ वारदात करने में नहीं हिचकते। यहां तक कि अब तो उन्हें खाकी का भी कोई खौफ नहीं रहा। ऐसी स्थिति किसी भी शहर के लिए सही नहीं कही जा सकती। खासकर देश की राजधानी के लिहाज से तो यह दिन प्रतिदिन बद्तर होती कानून व्यवस्था को बयां करने के लिए काफी है। अगर राजधानी में ऐसे हालात होंगे तो देश के अन्य हिस्सों की कल्पना सहज ही की जा सकती है। पुलिस महकमे को चाहिए कि वह ऐसी व्यवस्था करे जिससे अपराधी इस तरह की वारदात करने की जुर्रत न कर सके। इसके लिए पुलिस के आला अधिकारियों को गंभीरता से सोचने और कोई कारगर कार्ययोजना बनाने की जरूरत है।
दिल्ली पुलिस को यह भी सोचना होगा कि उसकी गिनती देश की सबसे तेजतर्रार पुलिस फोर्स में होती है तो उसकी यह नैतिक जिम्मेदारी भी है कि वह इस तरह की वारदातों पर अंकुश रखे। साथ ही आम जनता की सुरक्षा के लिए हर पहलू का ध्यान रखे। पिछले कुछ दिनों में दिनदहाड़े होने वाले अपराध बढऩे लगे हैैं इसलिए पुलिस को अब केवल शाम और रात के वक्त ही नहीं, दिन में भी अपनी गश्त व्यवस्था सुधारने की जरूरत है। इसके अलावा उसे यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आम जनता का उससे जुड़ाव रहे ताकि वारदात की जानकारी उसे जल्द से जल्द मिल जाए। सीसीटीवी कैमरे लगाने से ही समस्या का समाधान नहीं होता। इसके लिए उसकी मॉनिटरिंग भी जरूरी है। अगर पुलिसकर्मी ठीक से मॉनिटरिंग करें तो ऐसी वारदातों को अंजाम देने वालों को पुलिस तत्काल पकड़ लेती। यह पुलिस की साख बनाए रखने के लिए बहुत ही जरूरी है।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]