बदलाव की चाह में उठाए गए छोटे-छोटे दो कदम बड़ा प्रभाव पैदा कर देते हैं। भले ही व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन न लाया जा सके लेकिन एक नई शुरुआत तो हो सकती है। फतेहाबाद में जन-स्वास्थ्य विभाग के एक छोटे कदम ने दूसरों को भी नई राह दिखाई है। जनस्वास्थ्य विभाग ने पेयजल के संकट से निपटने के लिए पानी बचाने की मुहिम चलाई। इसके लिए खुले नलों से व्यर्थ बह रहे पानी को बचाने के लिए गांवों में टूंटियां लगानी शुरू कर दी। इसके अलावा बच्चों के माध्यम से गांवों में पानी बचाने के प्रति जागरूकता अभियान चलाया गया। सर्विस स्टेशन पर पेयजल का इस्तेमाल करने वालों के कनेक्शन काट दिए गए। इसका नतीजा यह हुआ कि लोगों में जागरूकता बढ़ी। अब प्रतिदिन 90 लाख लीटर पानी बचाया जा रहा है। एक ओर पानी के लिए क्षेत्र में त्राहिमाम मचा था। अतिरिक्त पेयजल आपूर्ति के लिए भूजल का दोहन भी किया जाता है लेकिन फतेहाबाद का यह प्रयोग नई राह खोल गया।
प्रदेश में भूजल स्तर तेजी से घट रहा है। ऐसे में पिछले तीस सालों में तेजी से जलस्तर नीचे चला गया और कई क्षेत्रों में तो 10 से 15 तक गिरावट दर्ज हुई है। दक्षिणी व पश्चिमी हरियाणा में खासतौर पर स्थिति बहुत भीषण है। कृषि कार्यों के लिए तेजी से छह लाख नलकूप भूजल का दोहन करने में जुटे हैं। जहां पानी थोड़ा बचा भी है तो इस्तेमाल के लायक नहीं है। जल संसाधन सीमित हैं और ऐसे में जल बचाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ के अलावा, भिवानी, रोहतक के साथ-साथ सिरसा व फतेहाबाद समेत 13 जिलों में स्थिति काफी विकट है। पानी बचाने के लिए व्यापक मुहिम तुरंत चलाए जाने की आवश्यकता है लेकिन न जन संगठन सक्रिय हैं और न आमजन इसके प्रति जागरूक है। यही वजह है पानी बचाने के लिए कोई तैयारी कहीं नहीं हो पा रही। ऐसे समय में फतेहाबाद में उठाया गया यह छोटा कदम हमें सचेत कर रहा है। ऐसे ही प्रयास अन्य जिलों में भी होने चाहिए। इसके अलावा जल संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग व सीवेज को साफ कर गैर पेयजल कार्यों में इस्तेमाल कर सकते हैं। एक साथ कदम बढ़ाकर हम स्थिति में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

[ स्थानीय संपादकीय : हरियाणा ]