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घाटी के युवा समझ गए हैं कि उनका मुस्तकबिल आतंक का दामन थामने से नहीं बनेगा। अभिभावक बच्चों को सेना में भर्ती होने के लिए कह रहे हैं
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सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की बढ़ रही घटनाओं के बीच श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में भर्ती के लिए उमड़ी युवाओं की भीड़ ने झुठला दिया है कि वह अलगाववादियों के इशारे पर चल रहे हैं। अगर भटके युवाओं को रास्ते पर लाना है तो बेरोजगारी को जड़ से मिटाना होगा क्योंकि कुछ युवा पैसों की खातिर पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल हो रहे हैं। उन्हें इससे उबारने के लिए सरकार ने युवाओं की नब्ज पकड़ ली है और उसी कड़ी के तहत राज्य में पुलिस की पांच बटालियन बनाने जा रही है। आतंकवादियों की कोशिश थी कि लेफ्टिनेंट उमर फैयाज का कत्ल कर यह संदेश दे कि वे युवाओं को फौज और अद्र्ध सुरक्षाबलों में भर्ती से रोक लेंगे पर उनका आंकलन गलत साबित हुआ। नौजवानों ने भी यह साबित कर दिया है कि उनका रोल मॉडल बुरहान वानी नहीं, बल्कि लेफ्टिेनेंट उमर फैयाज हैं। कश्मीर के युवाओं को भी समझ आ गई है कि उनका मुस्तकबिल आतंक का दामन थामने से नहीं बनेगा। अब अभिभावक बच्चों को सेना में भर्ती होने के लिए कह रहे हैं। यहां तक कि भर्ती होने युवतियां भी आगे आ रही हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि कश्मीर में सेना में भर्ती होने के लिए युवाओं में उत्साह है। बीते कुछ वर्षों में जहां पर भी भर्ती अभियान चला युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस बार आश्चर्य इसीलिए है कि विगत वर्ष कश्मीर में उत्पन्न हुए खराब हालात के बाद कम युवाओं के आने की आशंका जताई जा रही थी। यह बात किसी से नहीं छुपी है कि पाकिस्तान ने कश्मीर के युवाओं को आतंकवाद की दलदल में फंसाने के लिए भरसक प्रयास किए। सैकड़ों युवा शामिल भी हुए और उन्होंने घाटी में आतंकी गतिविधियों को तेज किया लेकिन ऐसे युवाओं की संख्या बहुत कम है। यह सही है कि पिछले साल सबसे अधिक युवा आतंकी गतिविधियों में शामिल हुए लेकिन उससे यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि युवा मुख्यधारा से बाहर जाने लगे हैं। अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो हर साल भारतीय प्रशासनिक सेवाओं और कश्मीर प्रशासनिक सेवाओं में चयनित होने वाले उम्मीदवारों की संख्या भी जम्मू की अपेक्षा कश्मीर से अधिक होती है। अलगाववादियों को यह हजम नहीं होता। उनकी कोशिश होती है कि जबरदस्ती बंद व प्रदर्शनों का आह्वान कर युवाओं को बरगला कर देशविरोधी नारे लगवाएं। सड़कों पर उतरने वालों की संख्या कश्मीर की जनसंख्या का एक प्रतिशत भी नहीं थी। राज्य सरकार को चाहिए कि वे ऐसे युवाओं को बढ़ावा दे और कश्मीर में सेना में भर्ती होने के लिए युवाओं ने जो जज्बा दिखाया है, उसे आगे भी जारी रखे।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]