बदलती सामाजिक तस्वीर में महिलाओं का दायरा भी तेजी से बदल रहा है। चूल्हा-चौका छोड़ आज की महिलाएं न केवल परिवार की जिम्मेवारी संभाल रही है बल्कि पंचायत से लेकर देश-प्रदेश के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण रोल निभा रही है। आज वह अधिक सशक्त है, उसका अंदाज उसका आत्मविश्वास बयां कर रहा है और आर्थिक स्वतंत्रता ने इसमें नया उत्साह भर दिया है। बदलते सामाजिक दायरे में आज की नारी खुलकर कहने लगी है कि उसे सुरक्षा के लिए किसी पुरुष के साये की आवश्यकता नहीं है। वह परिवार चला सकती है, देश बना रही है तो सुरक्षा के लिए भी किसी भी निर्भर क्यों रहे? अब यह बदलाव हमारे ग्रामीण आंचल में भी दिखाई देने लगा है। सुरक्षा के इस अहसास को पाने के लिए हथियारों की खरीद में भी महिलाएं पीछे नहीं। वह समाज में मजबूती से आगे बढ़ती हुई दिखना चाहती है। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में हथियारों के लाइसेंस के लिए महिलाओं के आवेदन बढ़े हैं। वह किसी भी चुनौती से मुकाबले के लिए स्वयं तत्पर दिखना चाहती है।
इस बदलाव के बावजूद एक स्याह पक्ष भी है। हरियाणा के समाज में बेटियों के लिए चुनौतियां भी हजार हैं। कोख में हत्या व ऑनर किलिंग से लेकर सम्मान के लिए महिलाओं को कई बार लंबी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। ऐसे में महिलाएं स्वयं को असुरक्षित महसूस करती हैं। विशेषकर वह जो घूंघट का दायरा तोड़कर आगे बढ़ना चाह रही हैं। ऐसे में हथियार रखने की प्रवृत्ति बढ़ना चुनौती भी पैदा कर रही है। समाजशास्त्रियों की चिंता है कि महिलाओं में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। क्या समाज उन्हें सुरक्षा का विश्वास नहीं दिला पा रहा है? चूंकि पुरुषों में जिस तेजी से हथियारों का शौक बढ़ा उससे सामाजिक अपराध बढ़ते ही गए। चिंता यह है कि ममता की मूर्त कहीं अधिक कठोर न हो जाए? आवश्यक है कि समाज जिम्मेवारी ले और महिलाओं में सुरक्षा का भाव बढ़ाए। सरकार की नीतियां हैं कि महिलाओं को बराबरी का हक मिले और वह निर्भय होकर अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन कर सके। समाज तेजी से बदल रहा है। पंचायतों व खापों में महिलाओं को प्रमुखता से स्थान दिया जा रहा है लेकिन शायद अभी भी उस गति से नहीं जिस तेजी से महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। वह अब इंतजार नहीं करना चाहती। बराबरी का दर्जा हर हाल में हासिल कर लेना चाहती है। इस बदलाव का हरियाणा ही नहीं पूरा भारत स्वीकार कर रहा है। उम्मीद करें कि यह बदलाव हरियाणा को और आगे की राह पर ले जाएगा।

[ स्थानीय संपादकीय : हरियाणा ]