केंद्र और राज्य सरकार की खींचतान में बिहार की सड़कों का बुरा हाल हो गया है। महागठबंधन सरकार बनने पर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने घोषणा की थी कि सड़कें इतनी शानदार बनाई जाएंगी ताकि राज्य के किन्हीं भी दो सिरों की दूरी अधिकतम पांच घंटे में तय की जा सके। डेढ़ साल गुजर गया। इस दरम्यान सड़कों की हालत बदतर हो गई। जो दूरी डेढ़ साल पहले चार घंटे में तय हो जाती थी, अब उसमें पांच-छह घंटे लगने लगे हैं। उप मुख्यमंत्री ने वाट्सएप नंबर जारी करके घोषणा की थी कि यदि आपको सफर में सड़क पर कोई गड्ढा नजर आता है तो उसका फोटो वाट्सएप पर भेजें, पथ निर्माण विभाग अविलंब गड्ढे को दुरुस्त करेगा। लोगों ने इस नंबर पर तमाम गड्ढों की तस्वीरें भेजीं। इनमें कितने गड्ढे दुरुस्त हुए, पता नहीं। कुछ दिन बाद उप मुख्यमंत्री ने खुद प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि उनके द्वारा जारी वाट्सएप नंबर पर उन्हें तमाम विवाह प्रस्ताव मिल रहे हैं। इसके साथ ही उनकी योजना की गंभीरता जाती रही। राज्य की सड़कों पर उसी तरह गड्ढे मौजूद हैं। दरअसल, सड़कों की बदहाली का मामला केंद्र और राज्य के बीच जारी खींचतान का नतीजा है। केंद्र सरकार करीब 2900 किमी स्टेट हाईवे को नेशनल हाईवे में तब्दील करने पर सैद्धांतिक सहमति जता चुकी है यद्यपि इस पर फिलहाल कोई काम नहीं हुआ है। राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार राज्य के विकास में अड़ंगेबाजी कर रही है। इसी वजह से स्टेट हाईवे को नेशनल हाईवे में तब्दील करने का काम शुरू नहीं हुआ। उधर, केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य सरकार सड़कों के विकास के लिए भूमि अधिग्रहण नहीं कर रही जो उसकी जिम्मेदारी है। दोनों पक्ष इसी तरह आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हुए हैं। उधर, खस्ताहाल सड़कों की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। 90 के दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने कहा था कि वह राज्य की सड़कों को हेमा मालिनी के गाल की तरह चिकना बना देंगे यद्यपि अपने लंबे मुख्यमंत्रित्वकाल में वह ऐसा नहीं कर पाए। संयोगवश अब उनके पुत्र तेजस्वी यादव पथ निर्माण विभाग के मंत्री हैं। वह भी सड़कों के सुधार को लेकर घोषणाएं करने में पीछे नहीं, किन्तु सड़कें आज भी बदहाल हैं। मुख्यमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करके केंद्र सरकार को राज्य की सड़कों के विकास के लिए धनराशि उपलब्ध कराने पर राजी करना चाहिए।
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हर बड़ा नेता कहता है कि विकास में राजनीति आड़े नहीं आनी चाहिए लेकिन आचरण इसके विपरीत होता है। बिहार की सड़कें इसलिए बदहाल हैं क्योंकि केंद्र सरकार से इनके विकास के लिए धनराशि नहीं मिल रही। बिहार जैसे राज्य के साथ ऐसा बर्ताव उचित नहीं।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]