लोक निर्माण विभाग द्वारा लोगों से सीधे शिकायत भेजने के लिए सोशल साइट वाट्सएप का इस्तेमाल करने का फैसला सही है। नि:संदेह इससे विभाग को उन क्षेत्रों में सड़कों का हाल जानने का मौका मिलेगा, जहां पर न तो मंत्री और न ही अधिकारी पहुंच पाते हैं। इस समय राज्य में अस्सी लाख से अधिक लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। लाखों की संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जो सोशल साइट्स विशेषकर वाट्सएप नियमित रूप से इस्तेमाल कर रहे हैं। लोक निर्माण विभाग सीधा लोगों के साथ जुड़ा हुआ है। चाहे प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना हो या फिर अन्य राज्य में अधिकांश का निर्माण यही विभाग करता है। दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की अक्सर यह शिकायत रहती है कि उनके यहां सड़कों का हाल बेहाल है। विडंबना यह है कि उनकी आवाज मंत्री या फिर अधिकारियों के पास नहीं पहुंच पाती है। इस कारण वर्षों से लोगों की सुनवाई नहीं हो पाई है। अब केंद्र सरकार भी डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने की बात कर रही है। ऐसे में सोशल साइट के इस्तेमाल को जनशिकायतें सुनने के लिए इस्तेमाल करना सही है। मगर सरकार का यह प्रयास तभी फलीभूत होगा जब इसका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार होगा और लोगों के पास वाट्सएप नंबर भी उपलब्ध होगा। सड़क संपर्क किसी भी राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए अहम है। कुछ दिन पूर्व ही राज्य में लोक निर्माण विभाग का कार्यभार संभालने वाले मंत्री ने भी इसे स्वीकार किया है और सड़कों में गुणवत्ता को बनाए रखने पर जोर दिया। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि राज्य में खस्ताहाल सड़कों के कारण आए दिन सड़क हादसे होते हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है। अगर बेहतर सड़कें होंगी और समय पर निर्माण होगा तो इन हादसों पर भी अंकुश लगाया जा सकता है। लोगों को चाहिए कि वे अपने-अपने क्षेत्र की सड़कों की दयनीय हालत के बारे में मंत्री व लोक निर्माण विभाग के सचिव को अवगत करवाएं ताकि वे इस पर उचित कार्रवाई कर सकें।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]