दिल्ली पुलिस द्वारा डार्क स्पॉट की पहचान के लिए मोबाइल एप बनाने की योजना स्वागतयोग्य है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस मोबाइल एप के बनने के बाद राजधानी में डार्क स्पॉट्स की संख्या कम करने में पुलिस को मदद मिलेगी। यह इसलिए जरूरी था कि राजधानी में करीब 326 डार्क रूट हैैं जिनकी पहचान दिल्ली पुलिस कर चुकी है। इन रूटों पर स्थित 86 हजार डार्क स्पॉट्स पर निगरानी की पुलिस के सामने बड़ी चुनौती है। इससे भी ज्यादा परेशानी की बात यह है कि 60 हजार डार्क स्पॉट्स वैसे हैैं जहां आए दिन बदमाश लूट की वारदात को अंजाम देते हैैं। इसके अलावा महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म तक की घटनाएं हो चुकी हैैं। ऐसे में इन डार्क स्पॉट्स को रोशन करना बहुत जरूरी है। दिल्ली नगर निगम इस काम को लेकर कई योजना बना चुका है और पिछले दिनों करीब 10 हजार डार्क स्पॉट्स को रोशन करने की बात कही गई थी। दिल्ली सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि दिल्ली नगर निगम या फिर पुलिस के पास यह जानकारी नहीं होती कि कौन सी स्ट्रीट लाइट खराब है या फिर कितनी स्ट्रीट लाइट कब से खराब है। ऐसे में इस एप के बनने के बाद यह आसानी से पता चल सकेगा और पुलिस नगर निगमों की मदद से इसे ठीक कराएगी।
इस बीच, यह भी समझने वाली बात है कि सिर्फ डार्क स्पॉट्स हटा देने या रोशन कर देने से ही राजधानी में अपराध कम नहीं होंगे। इसके लिए जरूरी है कि पुलिस सभी सड़कों पर 24 घंटे गश्त की व्यवस्था करे। पुलिसकर्मियों की कमी के कारण अगर ऐसा करना मुमकिन नहीं हो पा रहा है तो सभी सड़कों को सीसीटीवी कैमरे की जद में लाने की योजना बनाई जानी चाहिए। इसके अलावा इनकी 24 घंटे निगरानी की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि अपराधियों को कम समय में पकड़ा जा सके। फिलहाल हालत यह है कि जहां-जहां सीसीटीवी कैमरे लगे हैैं, वहां की भी निगरानी नहीं हो पा रही है। इसके अलावा इनके खराब होने की स्थिति में इन्हें ठीक कराने में भी काफी वक्त लगता है। बदमाशों को इसकी जानकारी भी होती है जिस कारण वे आसानी से वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाते हैैं।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]