पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वाममोर्चा व कांग्रेस ने तालमेल किया लेकिन अधिक लाभ कांग्रेस को मिला था। माकपा में शुरू से ही कांग्रेस के साथ संबंध को रखने को लेकर सवाल उठते रहे थे। केंद्रीय कमेटी, पोलित ब्यूरो से लेकर राज्य कमेटी और यहां तक कि माकपा के विशेष अधिवेशन (प्लेनम) में भी मुद्दा उठा था। पर, माकपा की बंगाल इकाई कांग्रेस के साथ तालमेल रखने के पक्ष में थी। पर, अब शायद कांग्र्रेस भी वाममोर्चा और खासकर माकपा को अलविदा करने के संकेत दे दिए हैं। इसकी वजह 19 नवंबर को राज्य की दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होने वाले हैं। इस उपचुनाव में कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह भी अपना प्रत्याशी उतारेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी की रणनीति क्या है, इस मुद्दे पर आम लोगों से लेकर उनके पार्टी के ही कई नेता कंफ्यूज हैं। क्योंकि, अभी एक सप्ताह पहले चौधरी ने संकेत दिया था कि उपचुनाव में कांग्रेस अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी। पर, सोमवार को बंगाल इकाई की बैठक के बाद कहा कि तीनों ही सीटों पर प्रत्याशी उतारने पर विचार किया जा रहा है और पार्टी हाईकमान की अनुमति मिलते ही प्रत्याशी के नामों की घोषणा कर दी जाएगी। अधीर का तर्क है कि तृणमूल विरोधी वोट को रोकने के लिए हमलोगों ने विधानसभा चुनाव में तालमेल किया था। पर, कूचबिहार, तमलुक लोकसभा और मंतेश्वर विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में वाममोर्चा ने कांग्रेस के साथ संपर्क किए बिना अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं। इसीलिए प्रदेश कांग्र्रेस की बैठक में निर्णय लिया गया है कि वह भी तीनों ही सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। यहां तक कि तीनों सीटों के लिए प्रत्याशी के नामों की सूची प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी हाईकमान सोनिया गांधी को भी भेज दिया है। क्या कांग्रेस एक बार फिर तृणमूल के करीब जाएगी? क्योंकि, तृणमूल प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बार-बार आगामी लोकसभा चुनाव से पहले एक फेडरल फ्रंट की वकालत करती आ रही हैं जिसके पक्ष में जनता दल यूनाइडेट (जदयू), राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेताओं के साथ बातचीत करती आ रही हैं। यहां तक कि बीजू जनता दल समेत कुछ और पार्टियों के नेताओं से संपर्क साधती रहती हैं। वैसे तो ममता गैर भाजपा व गैर कांग्र्रेस दलों को एकजुट करने की हिमायती हैं। पर, इस उपचुनाव में कांग्रेस यदि अपना प्रत्याशी उतार देती है तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि माकपा व कांग्रेस के गठबंधन में दरार आ गयी है। राजनीति में कब क्या हो, कुछ कहा नहीं जा सकता। पर, एक बात तय है कि कांग्रेस की बंगाल इकाई वाममोर्चा से संबंध तोडऩे के पक्ष में अब दिखने लगी है। हालांकि, कांग्रेस को पता है कि उसकी स्थिति क्या है।

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]