ऐसी घटनाएं बढऩे के पीछे सरकारी स्कूलों की कार्यप्रणाली, समाज, हमारे रहन-सहन में आ रहा बदलाव, अभिभावकों की रवैया व अपेक्षाएं भी जिम्मेदार हैैं।

दो दिनों में पंजाब में पांच विद्यार्थियों ने इस वजह से जान दे दी क्योंकि वे दसवीं की परीक्षा में असफल हो गए थे। यह सभी को झकझोरने वाली व चिंता की बात है कि बच्चे परीक्षा में असफलता को सहन नहीं कर पा रहे। सरकार को इस बारे में जल्द कुछ करना होगा क्योंकि उसके स्कूलों का परिणाम इतना खराब रहा है कि मुख्यमंत्री तक को अफसोस व्यक्त करना पड़ा है। परीक्षा परिणाम आने के बाद मंगलवार को नाभा में एक छात्र ने जहर निगल लिया जबकि खरड़ में छात्रा ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। बुधवार को भी एक छात्रा ने रूपनगर में और एक ने फगवाड़ा में और एक छात्र ने समराला में आत्महत्या कर ली। परीक्षा परिणामों के दिनों में ऐसी घटनाएं बढऩे के पीछे सरकारी स्कूलों की कार्यप्रणाली, समाज, हमारे रहन-सहन में आ रहा बदलाव, अभिभावकों का रवैया व अपेक्षाएं भी जिम्मेदार हैैं। परीक्षा में फेल होना हमारे समाज में ऐसा हो गया है जैसे कि कलंक हो, जबकि बड़े-बड़े दार्शनिकों व महापुरुषों ने कहा है कि असफलता के बिना बड़ी सफलता मिलना मुश्किल है। दूसरा बड़ा कारण अभिभावकों की अपेक्षाएं हैैं जिनके बोझ तले बच्चे कई बार घुटन महसूस करते हैैं। अपनी अपेक्षाओं पर बच्चों का खरा न उतर पाना कई अभिभावक सहन नहीं कर पाते और संवेदनशील बच्चे इसी दबाव में खुदकशी जैसा कदम उठा लेते हैैं कि मम्मी- पापा क्या कहेंगे। बच्चों की क्षमता को पहचानना बेहद जरूरी है और उसी के अनुरूप अपेक्षाएं भी रखनी चाहिए। अभिभावकों का कर्तव्य अच्छी शिक्षा व संस्कार देना और सही दिशा में करियर के लिए बच्चों को प्रेरित करना है। बच्चों को समझना और उन्हें पर्याप्त समय देना बेहद जरूरी है। बच्चे अब ज्यादा संवेदनशील हो गए हैैं या यूं भी कहा जा सकता है कि उनमें बर्दाश्त करने की शक्ति कम हुई है। बच्चों की खुदकशी के इन मामलों को अगंभीरता से नहीं लिया जा सकता। सरकार का भी कर्तव्य है कि वह शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाए और ऐसी व्यवस्था बनाए कि बच्चों को शिक्षा बोझ न लगे। सरकारी स्कूलों की कार्यप्रणाली पर भी ध्यान देना होगा क्योंकि इस बार अनेक स्कूलों का नतीजा बेहद खराब रहा है। मुख्यमंत्री ने खराब नतीजों पर चिंता जताई है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने की दिशा में जल्द ही ठोस कदम उठाए जाएंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]