जम्मू शहर के व्यस्त इलाकों से गुजरने वाले नालों पर अतिक्रमण बरसात के दिनों में तबाही मचा सकता है। इससे कई बार जान माल को खतरा पैदा हो जाता है। बेशक प्रशासन ने सतवारी चौक-अशोक नगर को जोड़ते क्षेत्र में बने इस नाले पर कई वर्ष पहले कंक्रीट लेंटर डाल दिया। अब यह नाला कब शैतानी रूप धारण कर ले, इस आशंका को देखते हुए प्रशासन ने लेंटर तोड़ कर इसकी सफाई शुरू करवा एक दूरगामी कदम उठाया है। हालांकि, शहर में अभी भी ऐसे कई नाले ढके हुए हैं, जो बरसात के मौसम में जनजीवन प्रभावित कर सकते हैं। इसमें शहर से गुजरने वाला शास्त्री नगर और हाजीपोरा नाला प्रमुख है। जिन पर प्रशासन की नजर नहीं है। इतना ही नहीं, शहर और उसके आसपास कुछ बरसाती नाले भी हैं, जिन पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। वर्ष 2014 में राज्य में आई बाढ़ के कारण इन बरसाती नालों ने शहर के रिहायशी इलाके त्रिकुटा नगर, गंग्याल कैनाल रोड में काफी तबाही मचाई थी। प्रशासन ने लोगों की जान-माल को खतरा मानते हुए नालों पर अतिक्रमण को तोड़ने के लिए सरकारी आदेश भी जारी किए, लेकिन अभी तक खास अमल नहीं हुआ। जिन लोगों ने तिनका-तिनका जोड़ कर घर का सामान इकट्ठा किया था, वह पानी की भेंट चढ़ गया। अभी भी समय है कि प्रशासन नालों पर अतिक्रमण हटाने के लिए व्यापक अभियान चलाए। इसमें कोई भेदभाव न हो। हद तो यह है कि जिन लोगों ने नालों पर अतिक्रमण किया है, उनमें नेता और प्रभावशाली लोग शामिल हैं। इन लोगों की गलती का खामियाजा अन्य लोगों को भुगतना पड़ रहा है। प्रशासन को भी राजनीति के प्रभाव में न आकर अपने विवेक से फैसला लेना होगा क्योंकि यह लोगों की जिंदगी का सवाल है। हद तो यह है कि जब अतिक्रमण हो रहा होता है तब प्रशासन प्रभावशाली लोगों के प्रभुत्व में आकर कुछ कार्रवाई नहीं करता। प्रशासन को चाहिए कि नालों के निर्माण के दौरान उनकी चौड़ाई और गहराई का भी ध्यान रखे। इसके अलावा यह सुनिश्चित बनाया जाए कि एक नाले में उतने ही छोटे नालों को जोड़ा जाए जितनी पानी की निकासी संभव हो। सरकार को चाहिए कि बस्तियों, कस्बों और शहरों में ऐसे नालों की पहचान कर अतिक्रमण हटाया जाए।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]