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फीमेल मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर्स ने स्वास्थ्य मंत्री को वेतन जारी करने के लिए एक महीने का समय दिया है, सरकार को समस्या का स्थायी समाधान करना चाहिए
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स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की तेरह दिनों से चली आ रही हड़ताल स्थगित होना मरीजों के लिए राहत भरा है। नि:संदेह इससे फिर से अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू होंगी। कर्मचारियों ने स्वास्थ्य मंत्री को फीमेल मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर्स का वेतन जारी करने के लिए एक महीने का समय दिया है। जम्मू संभाग में हड़ताल के कारण मरीजों को इलाज के लिए दर-बदर होना पड़ रहा था। जम्मू शहर में तो फिर मरीज मेडिकल कॉलेज व सहायक अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे थे लेकिन दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोग विगत दो सप्ताह से इलाज से वंचित थे। होना तो यह चाहिए था कि फीमेल मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर्स के धरने के बाद ही स्वास्थ्य मंत्री उनके साथ बातचीत कर उन्हें विश्वास में लेते और मांगों को पूरा करने के गंभीरता से प्रयास करते। विडंबना यह रही कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पहले धरने और फिर हड़ताल को हल्के से लेते रहे। हजारों मरीजों का इलाज नहीं हुआ और सैकड़ों ऑपरेशन स्थगित करने पड़े। इससे लोगों में भी रोष बढ़ता गया और सिविल सोसायटी भी कर्मचारियों के समर्थन में आ गई। यह बात किसी से नहीं छुपी है कि स्वास्थ्य विभाग सीधा लोगों की जिंदगी के साथ जुड़ा हुआ है और यहां पर थोड़ी सी लापरवाही भी किसी भी मरीज की जान तक ले सकती है। ऐसे में कई दिनों तक अस्पतालों में बंद पड़ी ओपीडी से मरीजों का दर्द बढऩा स्वभाविक था। यह अच्छी बात है कि देरी से ही सही, हड़ताल को खोलने के लिए प्रयास हुए और इसमें सफलता भी मिली। अब स्वास्थ्य मंत्री को चाहिए कि वह परिवार कल्याण में काम कर रही इन फीमेल मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर्स की वेतन की समस्या का स्थायी समाधान करें ताकि नियमित तौर पर उन्हें वेतन मिल सके। महंगाई के इस दौर में किसी के लिए भी एक वर्ष तक वेतन का इंतजार करना मुश्किल है। इन हेल्थ वर्कर्स को हर दो-तीन में वर्ष में वेतन के लिए सड़क पर उतरना पड़ता है। भविष्य में यह समस्या न हो, इसके लिए यह जरूरी है कि सरकार अलग से कोई फंड बनाए। यही नहीं, केंद्र सरकार के साथ भी बातचीत करे और यह सुनिश्चित बनाए कि फिर से वेतन के कारण जम्मू संभाग के अस्पतालों में हड़ताल की नौबत न आए।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]