यह प्लांट झारखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगा। किसानों व बाजार के बीच के बिचौलिए समाप्त होंगे और अंतत: किसानों का जीवन स्तर ऊंचा होगा।
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झारखंड की पहचान जल, जंगल, जमीन से रही है। सुखद है कि झारखंड सरकार राज्य के समग्र विकास के लिए सधे कदमों से आगे बढ़ रही है। सोच यह कि कल-कारखाने खुलें लेकिन खेतों में फसल भी लहलहाए। खेतिहर किसानों के चेहरे पर मुस्कुराहट तैरती रहे। झारखंड के किसानों के लिए एक ही दिन आईं दो खबरें सुकून भरी रहीं। एक, रांची से सटे नगड़ी में फल एवं सब्जी प्रसंस्करण प्लांट का उद्घाटन हुआ तो दूसरी ओर झारखंड सरकार ने 725 चेकडैम के निर्माण व जीर्णोद्धार को मंजूरी प्रदान की। पूरे पूर्वी भारत में झारखंड में पहला फल एवं सब्जी प्रसंस्करण संयंत्र खुला है। यह प्लांट आने वाले दिनों में झारखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगा। किसानों व बाजार के बीच के बिचौलिए समाप्त होंगे और अंतत: किसानों का जीवन स्तर ऊंचा होगा। खेतीबारी करने वाले ग्रामीण खेतों में उत्पादित सब्जियों व फलों को सीधे प्लांट तक पहुंचा सकेंगे। सीएम ने सही ही कहा है कि झारखंड पूरे देश को सब्जी खिला सकता है। अब तक बाजार नहीं होने से किसान खून के आंसू रोने को मजबूर थे। टमाटर की ही खेती को लें। पटमदा से लेकर रांची तक इस सीजन में एक रुपया किलो टमाटर का भी खरीदार नहीं मिला। किसानों ने सड़कों पर क्विंटल के क्विंटल टमाटर फेंक अपने रोष का इजहार किया। अन्य सब्जियों का भी यही हाल रहा। इस स्थिति के मद्देनजर झारखंड सरकार ने किसानों के हित में ताबड़तोड़ कई निर्णय लिए हैं। झारखंड में कृषि रोजगार और आय सृजन का मुख्य जरिया है। झारखंड की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था अपर्याप्त सिंचाई सुविधाओं से प्रभावित होती रही है। इसके दृष्टिगत 725 चेकडैम के निर्माण व जीर्णोद्धार का फैसला उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है जिनकी जीविका पूरी तरह खेती पर आधारित है। अगर जमीन सिंचित होगी तो उत्पादन का बढऩा स्वाभाविक है। यह तथ्य चिंताजनक है कि झारखंड की 80 हजार हेक्टेयर जमीन आठ साल में बंजर हो गई। यदि इसे रोकने की तत्काल पहल नहीं हुई तो भविष्य में खेती के लायक जमीन नहीं बचेगी। दूसरे प्रदेशों में कई लाख हेक्टेयर भूमि को बंजर होने से बचाया जा चुका है। झारखंड में इस दिशा में कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन इस ओर त्वरित गति से कार्य करना होगा।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]