दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्कूली बच्चों को तंबाकू के दुष्प्रभाव से बचाने की दिशा में की गई पहल सही दिशा में उठाया गया कदम है। सरकार ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से सिफारिश की है कि स्कूली बच्चों को तंबाकू के बुरे असर के बारे में जानकारी देने के लिए इस विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करे। यदि स्वास्थ्य विभाग की सिफारिश को सीबीएसई ने स्वीकार कर लिया तो इसमें कोई दो राय नहीं कि बच्चों को तंबाकू के खतरों से बचाया जा सकेगा। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 90 फीसद लोगों में मुंह का कैंसर तंबाकू के सेवन से होता है। सभी तरह के 40 फीसद कैंसर की बीमारी की वजह तंबाकू सेवन है। यह आंकड़े काफी भयावह हैं। इसलिए इस जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी है।

इस तथ्य को ध्यान में रखकर सीबीएसई को इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए तीन बार चिट्ठी लिखी जा चुकी है। सीबीएसई समाज के हित में इस बारे में जल्द ही फैसला करे तो बेहतर होगा। 1हम सभी जानते हैं कि तंबाकू जानलेवा है। इसके बावजूद पूरे देश में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या रोजाना बढ़ती जा रही है। इसका फायदा तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियां उठा रही हैं और रोजाना करोड़ों रुपये की कमाई कर रही हैं। केंद्र सरकार हर साल तंबाकू उत्पादों को हतोत्साहित करने के मकसद से बजट में इन पर टैक्स बढ़ा देती है, लेकिन इसका भी कोई असर नहीं पड़ता है।

ऐसे में जरूरत इस बात की है कि तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर ही पाबंदी लगा दी जाए। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने सत्ता संभालने के कुछ दिन बाद ही सूबे में तंबाकू के सभी चबाए जाने वाले उत्पादों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद भी लोगों ने तंबाकू खाना नहीं छोड़ा और इसकी कालाबाजारी शुरू हो गई। तंबाकू उत्पादों की बिक्री करने वाले दुकानदारों ने भी अदालत का रुख कर लिया और अदालत ने सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी और फिर धड़ल्ले से तंबाकू की बिक्री शुरू हो गई। ऐसे में पाठ्यक्रम के जरिये बच्चों को तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना और भी जरूरी हो जाता है।

(स्थानीय संपादकीय दिल्ली)