राजधानी के जीवी मॉल हादसे को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बहुमंजिला भवनों के निर्माण व रखरखाव संबंधी जो दिशा निर्देश दिए हैं, उसमें छिपी संवेदनशीलता जवाबदेह शासन प्रणाली का उदाहरण है। उम्मीद की जानी चाहिए कि राज्य की नौकरशाही मुख्यमंत्री की इस सोच और भावना के प्रति पूरी गंभीरता दिखाएगी और भविष्य में मानकों की पूर्ति बगैर किसी बहुमंजिला भवन के निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। जीवी मॉल हादसे में यह गनीमत रही कि अग्निकांड भोर में हुआ, जब मॉल बंद था। हादसा दिन में भीड़भाड़ के दौरान हुआ होता तो पटना की स्मृति में एक बेहद दर्दनाक अध्याय जुड़ जाता। हादसे में न्यूनतम नुकसान हुआ लेकिन इस बहाने राजधानी सहित राज्य के बहुमंजिला व्यावसायिक और आवासीय भवनों के सुरक्षा इंतजाम की पोल खुल गई। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भविष्य में निर्मित होने वाले मॉल व आवासीय भवन सुरक्षित होने की बात पर भरोसा किया जा सकता है लेकिन मौजूदा भवनों का क्या होगा? हर जिले के प्रशासन को ऐसे भवनों के सुरक्षा इंतजाम की जांच और परीक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। जीवी मॉल राज्य के सर्वश्रेष्ठ बहुमंजिला व्यावसायिक भवनों में शुमार किया जाता था। जब इसके सुरक्षा इंतजाम नाकाफी साबित हुए तो बाकी भवनों की चिंता स्वाभाविक है। बेहतर होगा कि जिला प्रशासन के स्तर पर सभी व्यावसायिक व आवासीय बहुमंजिला भवन मालिकों की मीटिंग करके उन्हें सुरक्षा मानकों की सूची व समय सीमा मुहैया कराई जाए। तय समय सीमा में मानकों की पूर्ति बाध्यकारी की जाए। राज्य के बहुमंजिला होटलों को भी इस कवायद के दायरे में लाया जाना चाहिए। जो भवन संचालक इसमें हीलाहवाली करें, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। राज्य में पटना सहित सभी शहरों में जिस तरह मानकों की अनदेखी करके व्यावसायिक और आवासीय भवन खड़े किए हैं, उन्हें हादसों से बचाने के लिए सख्त कदम उठाए जाना आवश्यक है। मुख्यमंत्री क निर्देश के बाद भरोसा किया जा सकता है कि प्रशासन इसे गंभीरता से लेगा। इसके बावजूद इस कवायद के पर्यवेक्षण के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की जा सकती है। जान-माल से खिलवाड़ की इजाजत किसी को नहीं दी जानी चाहिए, भले ही वह कितना ही प्रभावशाली हो।
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असुरक्षित बहुमंजिला भवनों के सुरक्षा इंतजाम के प्रति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सख्त निर्देशों केे बाद उम्मीद की किरण दिखी है कि भविष्य में जीवी मॉल जैसे हादसे नहीं होंगे। प्रशासन को पूरे प्रदेश में व्यावसायिक और आवासीय बहुमंजिला भवनों में सुरक्षा मानकों की पूर्ति करवाने का अभियान चलाना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]