-----अस्पतालों के सभी रिकार्ड ऑनलाइन हो जाने पर सरकारी चिकित्सा सुविधाओं के प्रति जनता में विश्र्वास बढ़ेगा।-----उत्तर प्रदेश के बड़े अस्पतालों में डिजिटल एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, एमआरआइ और सिटी स्कैन मशीनें लगाने की कवायद शुरू होने वाली है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने शुक्रवार को विभाग के बड़े अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिन अस्पतालों में ऐसे उपकरण लगाए जाने हैं, उनकी तत्काल लिस्ट तैयार की जाए। महत्वपूर्ण बात यह है कि स्वास्थ्य मंत्री ने पिछले अनुभवों से सबक लिया है, जब मशीन खरीद कर अस्पताल में आ जाती थी, किंतु उसे चलाने वाला कोई नहीं होता था। कई बार तो मशीन की पैकिंग तक नहीं खोली जाती थी। स्टाफ का जवाब होता कि क्या करें, इतनी महंगी मशीन के रखने तक की जगह नहीं है, खुले में रखी गई है, आंधी-पानी से मशीन में जंग लग रही है। मंत्री का कहना है कि मशीनों को चलाने के लिए प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ का प्रबंध भी सुनिश्चित किया जाए। एक और व्यावहारिक बात देखने में आई है कि स्वास्थ्य मंत्री ने पहले से संचालित मशीनों की मुकम्मल देखरेख की व्यवस्था का भी निर्देश दिया है। साथ ही नई खरीद ई-टेंडरिंग से करने को कहा गया है। वास्तव में जितने अस्पताल हैं, अगर वे अपनी पूरी क्षमता से काम करने लगें तो मेडिकल सुविधा का ग्राफ अपने आप बहुत ऊपर बढ़ जाएगा। न जाने क्यों, पिछली सरकारों ने उपकरण खरीद और बिल्डिंग बनाने पर जोर दिया था। ये सरकारें और उनके अफसर भली भांति जानते थे कि उपकरणों का उपयोग तब तक नहीं हो सकता जब तक कुशल तकनीशियन भी मौजूद न हो। इन मशीनों से रिपोर्ट निकाल भी ली गई तो उसे पढ़ कर सही इलाज करने वाले विशेषज्ञ डाक्टर की जरूरत होती है। बड़ी बिल्डिंग से पब्लिक को इलाज नहीं मिलने वाला, जब तक कि उस बिल्डिंग में पूरा स्टाफ तैनात न हो। स्वास्थ्य मंत्री की यह पहल प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की दिशा में एक सुनहरी उम्मीद की किरण है। करीब सात सौ सीएचसी में एक्सरे की सुविधा हो जाएगी तो हल्के ट्रॉमा के केस वहीं निपटाए जा सकेंगे, उन्हें जिला अस्पताल रेफर करने की आवश्यकता नहीं होगी। अस्पतालों के सभी रिकार्ड ऑनलाइन हो जाने पर सरकारी चिकित्सा सुविधाओं के प्रति जनता में विश्र्वास बढ़ेगा।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]