नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा दिल्ली के सभी सरकारी व निजी स्कूलों से वर्षा जल संचयन पर उनकी तैयारी को लेकर रिपोर्ट मांगना एक सकारात्मक पहल है। एनजीटी ने अपने आदेश में स्कूलों को पांच दिन में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। इस रिपोर्ट में स्कूलों को बताना होगा कि वर्षा जल संचयन को लेकर उनके यहां कितना काम पूरा हो चुका है और जो बचा है, वो कितने दिनों में पूरा होगा। एनजीटी ने यह भी कहा है कि मानसून आने में थोड़ा ही वक्त रह गया है, ऐसे में इस काम को जल्द से जल्द निपटाया जाए। इससे पूर्व एनजीटी ने सभी स्कूलों को 10 दिन के भीतर वर्षा जल संचयन सिस्टम लगाने का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर हर स्कूल पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण और दिल्ली जल बोर्ड को सभी स्कूलों का निरीक्षण करने के निर्देश भी दिए गए थे। एनजीटी के इस निर्देश पर सख्ती से अमल करने की जरूरत है। भूजल स्तर को ऊंचा उठाने और पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें वर्षा जल संचयन पर ध्यान देना होगा।
हमें यह याद रखना चाहिए कि जल के स्त्रोत सीमित हैं। दिल्ली में तो वैसे भी ज्यादातर जोहड़ या तो सूख गए हैं या लुप्त हो गए हैं। ऐसे में भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए जल संरक्षण खासतौर पर वर्षा जल संचयन अत्यंत आवश्यक है। हर साल जरा सी लापरवाही के कारण लाखों मिलियन गैलन पानी सड़कों और नालियों में व्यर्थ ही बह जाता है। जबकि थोड़े से प्रयासों से काफी पानी का संचयन हो सकता है। इसे लेकर बातें तो खूब होती हैं लेकिन इस पर अमल नहीं किया जाता है। अगर हर सरकारी और निजी भवन पर वर्षा जल संचयन की व्यवस्था हो जाए तो स्थिति ही बदल जाएगी। इस दिशा में जिम्मेदारी तय करना सबसे जरूरी है। बिना जिम्मेदारी तय किए हालातों में बदलाव नहीं होगा। हर विभाग से एक नोडल अधिकारी नियुक्त होना चाहिए और एनजीटी की तरह सप्ताह भर में जवाब मांगा जाना चाहिए। निरंतर फॉलोअप करने से ही प्रयास फलीभूत होंगे। इस संबंध में दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों को जन जागरूकता भी फैलानी चाहिए। जितना अधिक लोग जागरूक होंगे, उतना ही ज्यादा वर्षा जल संचयन में सहयोग मिलेगा।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]