राज्य के निजी व सरकारी क्षेत्र में शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में दी जा रही शिक्षा का आइना यह खराब परिणाम भी दिखा रहा है। ऐसे संस्थानों की निगरानी के लिए अलग से कोई तंत्र भी नहीं है।
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झारखंड में दूसरी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) में मात्र 26 फीसद ही अभ्यर्थियों का उत्तीर्ण हो पाना यहां की शिक्षक प्रशिक्षण व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। इस परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे गए थे, जिनमें चार वैकल्पिक उत्तरों में से एक सही उत्तर को चुनना था। इसके बावजूद इसमें उत्तीर्ण होने के लिए अनिवार्य 60 फीसद अंक भी लगभग 74 फीसद उम्मीदवार नहीं ला सके। अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवारों को तो महज 52 फीसद अंक लाना था। हालांकि इनमें से कुछ उम्मीदवारों की ओएमआर शीट ही रद हो गई। यदि ओएमआर शीट भरने में उम्मीदवारों ने गलतियां कीं तो इसके लिए वे ही जिम्मेदार हैं। राज्य में कुकुरमुत्ते की तरह उग आए निजी बीएड कॉलेज धड़ल्ले से डिग्रियां तो बांट रहे हैं, लेकिन उनके यहां गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। राज्य के प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों, डायटों तथा सरकारी बीएड कॉलेजों का भी यही हाल है। तमाम सरकारी संस्थान शिक्षकों व आधारभूत संरचनाओं की भारी कमी से जूझ रहे हैं। यहां ऐसे संस्थानों की निगरानी के लिए अलग से कोई तंत्र भी विकसित नहीं है। केंद्र सरकार ने कई बार इसपर आपत्ति की है। राज्य के निजी व सरकारी क्षेत्र में शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में दी जा रही शिक्षा का आइना यह खराब परिणाम भी दिखा रहा है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि जैक ने परीक्षा का स्टैंडर्ड ऊंचा रखा। इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने से शिक्षक बनने की पात्रता मिल जाती है। यदि इस परीक्षा में योग्य उम्मीदवारों का ही चयन हो पाया है तो इसका फलाफल सरकारी स्कूलों में बच्चों को दी जा रही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर भी पड़ेगा। दूसरी तरफ राज्य के लिए सुखद पहलू यह है कि राज्य में 2012 के बाद दूसरी शिक्षक पात्रता परीक्षा हो सकी है, जबकि यह परीक्षा साल में कम से कम एक अनिवार्य होनी चाहिए थी। दूसरी परीक्षा लेने में राज्य सरकार व जैक को चार साल से अधिक समय लग गए। इस परीक्षा के परिणाम जारी होने से राज्य में लगभग नौ हजार प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता भी साफ हो गया है। राज्य सरकार इस पात्रता परीक्षा के परिणाम का इंतजार कर रही थी। परीक्षा परिणाम जारी होने से शिक्षक बनने की आशा में बैठे उन विद्यार्थियों को भी राहत मिली होगी, जो पिछले साल हुई नियुक्ति में मेधा सूची में नहीं आने से शिक्षक नहीं बन पाए होंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]