भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पांच दिवसीय बंगाल दौरा पर होने के दौरान राज्य के विकास, ममता बनर्जी सरकार की तुष्टीकरण की नीति और दयनीय औद्योगिक स्थिति पर पर सवाल उठाया। हालांकि सरकार यह मानने के लिए तैयार नहीं है। पहले तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शाह के आरोपों के सिरे से खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री ने दावा किया 45 हजार करोड़ रुपये कर्ज और सूद चुकाने के बावजूद वह राज्य को विकास की पटरी पर लाने में सफल हुई हैं। हमेशा की तरह मुख्यमंत्री ने केंद्र पर राज्य को मदद नहीं करने का आरोप लगाया।
बाद में वित्त मंत्री अमित मित्रा ने तथ्यपरक आंकड़ा पेश करते हुए राज्य में पर्याप्त विकास होने का दावा किया और अमित शाह पर गलत बयान देकर राज्य की जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। मित्रा का कहना है कि भारत की औद्योगिक विकास दर 7 प्रतिशत है वहीं पश्चिम बंगाल की औद्योगिक विकास दर 10 प्रतिशत है। बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट से मिले निवेश प्रस्ताव में 40 प्रतिशत पर काम शुरू हो गया है। गुजरात में मात्र 3.2 प्रतिशत औद्योगिक विकास दर है।
कृषि में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए 2011 से बंगाल को केंद्र से लगातार पांच बार कृषि कर्मण एवार्ड मिला है। मित्रा ने शाह के अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि राज्य में चल रही कन्याश्री, युवाश्री, सबुज साथी, गतिधारा, गीतांजली और खाद्य साथी आदि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ राज्य के लोगों को मिल रहा है। सरकार सबके लिए समान रूप से काम कर रही है। सरकार की ई गवर्नेंस और ई कामर्स योजना से व्यापक लाभ हुआ है। पश्चिम बंगाल अतिरिक्त ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है। पिछली वामो सरकार के थोपे कर्ज चुकाने में 94 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए। 1 जून 2017 तक 100 प्रतिशत ग्रामीण विद्युतीकरण संपन्न करनेवाला पश्चिम बंगाल देश का पहला राज्य होगा। अमित शाह के आरोपों को झूठलाने के लिए सरकारी दावे भले ही कारगर हो लेकिन सच्चाई कुछ अलग ही तस्वीर बयान करती है। अतिरिक्त बिजली उत्पादन का एक कारण यह है कि अधिकांश कल कारखाने बंद है और बिजली की खपत कम हुई है। कृषि में बंगाल का प्रदर्शन वाममोर्चा शासन से ही बेहतर रहा है। इसलिए वित्त मंत्री का यह दावा करना कि ममता सरकार के शासन में सबकुछ बेहतर हुआ है यह तर्कसंगत नहीं है।

(हाईलाइटर-मित्रा का कहना है कि भारत की औद्योगिक विकास दर 7 प्रतिशत है वहीं पश्चिम बंगाल की औद्योगिक विकास दर 10 प्रतिशत है)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]