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यौन शोषण के आरोपों से पुलिस की छवि पर सवाल उठना लाजिमी है। इससे लोगों का विश्वास भी कम होगा। मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए
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जम्मू के सीमावर्ती कानाचक्क पुलिस स्टेशन में चोरी के आरोप में पकड़ी गई महिला के साथ थानेदार द्वारा कथित यौन शोषण की घटना चिंताजनक है। पुलिस जिसका काम लोगों की रक्षा करना होता है अगर उस पर ही सवाल उठें तो समाज का भला नहीं हो सकता और लोग सुरक्षा की आस किससे करेंगे। ऐसे आरोपों से पुलिस की छवि धूमिल होगी और लोगों का विश्वास भी कम होगा। बेशक सरकार ने सचिवालय सहित विभिन्न कार्यालयों में महिलाओं के यौन शोषण के मामलों की जांच को पांच सदस्यीय कमेटी का पुनर्गठन किया है। लेकिन इस प्रकार की कमेटियां पुलिस महकमे में भी होनी चाहिए, जिससे वहां काम करने वाली और वहां आने वाली महिलाओं का विश्वास कायम रहे। बेहतर तो यह होगा कि इस कमेटी में एक महिला सदस्य भी हो, जिससे किसी भी शिकायत की अनदेखी न हो सके। पुलिस हिरासत में हुई इस वारदात पर अदालत के निर्देश पर दो सदस्यीय जांच टीम गठित की गई है। अब कमेटी को मामले की तह तक जाना होगा। पुलिस महानिदेशक को चाहिए कि मामले की जांच का जिम्मा साफ छवि वाले पुलिस अधिकारियों को सौंपें। यह घटना अब तूल पकड़ती जा रही है। पिछले दो दिनों से विभिन्न संगठनों के अलावा राजनीतिक दल भी विरोध में सड़कों पर आ गए हैं। जम्मू जिले के बाहर भी इस मामले को लेकर लोगों ने आक्रोश जताना शुरू कर दिया है। कई बार किसी एक व्यक्ति की गलती से तमाम पुलिस को समाज गलत नजरों से देखने लगता है। लेकिन पीडि़त महिला ने जो बयान दिए हैं, उन्हें सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है। यह पहली घटना नहीं है, इससे पहले सीमावर्ती खौड़ पुलिस स्टेशन में भी हिरासत के दौरान महिला से कथित दुष्कर्म की वारदात सामने आई थी। हालांकि, आरोपी थानेदार इस समय जमानत पर है। विडंबना यह है कि एक तरफ पुलिस अधिकारी लोगों से समन्वय बनाए रखने के लिए मुहल्लों में बैठकें कर रहे हैं तो कुछ जिम्मेदार अधिकारियों पर थाने के भीतर अनैतिक कार्य करने के आरोप लग रहे हैं। यही रवैया रहा तो कोई भी महिला अपने ऊपर हो रहे अत्याचार की शिकायत लेकर थाने में आने से हिचकिचाएगी। पुलिस का काम लोगों को सुरक्षा प्रदान करना होता है। ऐसी वारदातों को रोकने के लिए पुलिस के आला अधिकारियों को कड़े कदम उठाने होंगे। मामले में जो भी दोषी पाया जाए उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]