प्रदेश कांग्रेस द्वारा आयोजित 28 नवंबर को नंदीग्राम में सभा नहीं करने देने पर सवाल खड़ा हुआ है। नंदीग्राम में तृणमूल कांग्रेस के अलावा और किसी दल की पैठ नहीं है। ऐसे में कांग्रेस को सभा करने की अनुमति नहीं देने का कोई औचित्य नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी का कहना है कि नंदीग्राम में तृणमूल का ही दबदबा है। ऐसे में कांग्रेस को सभा नहीं करने देने पर मुख्यमंत्री क्यों डर रही है, यह समझ से परे है। अनुमति नहीं देने के बावजूद 28 नवंबर को नंदीग्राम में हर हाल में कांग्रेस की सभा होगी।

]जरूरत पड़ने पर वह इसके लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उस दिन अन्य किसी पार्टी का कोई कार्यक्रम नहीं है। इसके बावजूद प्रशासन सभा करने की अनुमति नहीं दे रहा है। सभा करना और जुलूस निकालना राजनीतिक दलों का लोकतांत्रिक अधिकार है। कांग्रेस लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन करने में विश्वास रखती है। शांतिपूर्ण ढंग से सभा करने की अनुमति नहीं देने पर वहां कोई गड़बड़ी होती है तो प्रशासन जिम्मेदार होगा।

दरअसल मुख्य विपक्षी पार्टी माकपा ने सप्ताह व्यापी आंदोलन की कार्यसूची तय की है जिसके तहत उसका विभिन्न जिलों में जुलूस निकल रहा है और जगह-जगह से लाल झंडा का जत्था निकल रहा है। माकपा के जुलूस पर हमले शुरू हुए हैं। हमला करने का आरोप तृणमूल कांग्रेस समर्थकों पर है। हमले के बावजूद माकपा आंदोलन के रास्ते पर अग्रसर है।

उसी तरह दूसरी विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी अनुमति नहीं मिलने पर भी सभा कर रही है। इसके पहले कांग्रेस को बहरमपुर में सभा करने की अनुमति नहीं मिली। इसके बावजूद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने मुर्शिदाबाद में सभा की। अगले साल होनेवाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर माकपा और कांग्रेस ने ज्वलंत मुद्दों पर अपने आंदोलन की कार्यसूची तय की है। सत्तारूढ़ दल को लग रहा है कि विपक्षी दलों का जन संपर्क प्रगाढ़ हो रहा है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रशासन सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के इशारे पर विपक्षी दलों को सभा करने की अनुमति नहीं दे रही है।

कोलकाता में भी देखा गया है कि सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस जब मन चाहे सभा करती है, लेकिन विपक्षी दलों को सभा करने की अनुमति नहीं मिलती है। उन्हें यदि अनुमति मिलती भी है तो मनपसंद जगह पर नहीं। धर्मतल्ला के विक्टोरिया हाउस के पास सभा करने के लिए भाजपा को हाईकोर्ट तक जाना पड़ा था। हाईकोर्ट की अनुमति से भाजपा की सभा वहां हुई थी।

लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्तारूढ़ दल की तरह सभी दलों को आंदोलन करने का समान अवसर मिलना चाहिए। दरअसल विपक्षी दलों के पास आंदोलन करने का मुद्दा है। यही वजह है कि सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस उनके आंदोलन से डर रही है। विपक्षी दलों को सभा करने के लिए कोर्ट जाना पड़े तो लोकतंत्र में यह शुभ नहीं है।