उत्तराखंड की सेहत को लेकर विभाग गंभीर नजर नहीं आते। दीपावली पर लिए गए नमूनों की रिपोर्ट होली में आने से साफ है कि राज्य को अपनी लैब का भी फायदा नहीं मिल पा रहा।
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सरकारी कार्यप्रणाली में सुधार के चाहे जो प्रयास हुए हों, लेकिन फलीभूत होते नजर नहीं आते। प्रदेश में खाद्य सुरक्षा विभाग इसका ताजा उदाहरण है। दीपावली पर लिए गए नमूनों की जांच रिपोर्ट होली पर आयी है। विभाग अब ऐसे प्रतिष्ठानों को नोटिस भेजने की तैयारी भी कर रहा है। ये नोटिस पहली बार नहीं भेजे जा रहे, सवाल है कार्रवाई का। अब तक ऐसे मुट्ठीभर मामले ही होंगे जिन पर विभाग ने कभी कोई कार्रवाई की हो। ऐसा पहली बार नहीं है कि विभाग द्वारा लिए गए सैंपल की जांच रिपोर्ट आने में महीनों का समय लगा हो, लेकिन पहले विभाग का तर्क रहता था कि प्रदेश में जांच के लिए कोई प्रयोगशाला नहीं है। इन हालात में विभाग को नमूने या तो शिमला भेजने पड़ते थे अथवा लखनऊ। इन जगह से रिपोर्ट आने विलंब होना स्वाभाविक था। वजह यह थी कि पहले ये प्रयोगशालाएं अपने प्रदेश के सैंपल को तवज्जो देती थीं, इसके बाद अन्य राज्यों का नंबर आता था। बाद में प्रदेश में रुद्रपुर में लैब बनी तो लगा कि अब रिपोर्ट आने में वक्त नहीं लगेगा। लेकिन लैब भले ही बना दी गई, पर स्टाफ की तैनाती में खासा समय लग गया। बावजूद इसके स्थिति में कोई खास अंतर नहीं आया। लैब में परीक्षण शुरू हो गया है, लेकिन रिपोर्ट आने में चार से पांच माह का समय लगने से साफ है कि कहीं न कहीं समस्या है। दरअसल, सवाल उत्तराखंड की सेहत का है। यदि समय पर रिपोर्ट नहीं मिली तो कार्रवाई में विलंब स्वाभाविक है। इन हालात में दोषी प्रतिष्ठान बेरोकटोक मानकों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अब होली का त्योहार निकट है और खाद्य सुरक्षा विभाग एक बार फिर सक्रिय हो रहा है। लेकिन यह सक्रियता मिलावटखोरों पर शिकंजा कसेगी, इसमें संदेह है। खाद्य सुरक्षा विभाग की सक्रियता पर भी अक्सर सवाल उठते रहे हैं। पहली बात तो यह कि विभाग की तेजी त्योहारों के आसपास ही नजर आती है। आखिर विभाग साल भर ऐसे अभियान क्यों नहीं चलाता। क्या वर्ष के बाकी दिन प्रदेशवासियों को शुद्ध खाद्य सामाग्री मुहैया हो रही है। दूसरा सवाल पारदर्शिता का है। पारदर्शिता के मामले में विभाग पर आरोप लगते रहे हैं। कहते हैं कि देर से मिला न्याय भी न्याय नहीं रह जाता। सरकार को भी इस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। रुद्रपुर की प्रयोगशाला में समस्या क्या है। क्यों इतनी देर से रिपोर्ट आ रही हैं। समस्या कहां है और उसका समाधान क्या हो सकता है। इसके अलावा विभाग की कार्यप्रणाली की खामियों को भी दुरुस्त करने की जरूरत है। उम्मीद की जानी चाहिए कि नई सरकार इस पर फोकस करेगी।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तराखंड ]