----आयोग पर शुचिता बनाए रखने की बड़ी जिम्मेदारी है लेकिन, नकल माफिया पिछले कई वर्षो से उसकी साख पर बट्टा लगाते रहे हैं----कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की मल्टी टास्किंग परीक्षा में पेपर आउट होने के मामले ने एक बार फिर साबित किया है कि तमाम दावों के बावजूद आयोग नकल माफिया की घुसपैठ रोकने में नाकाम रहा है। एसएससी की परीक्षाओं में सुनियोजित नकल का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा, संयुक्त हायर सेकेंड्री लेवल परीक्षा में भी नकल के बड़े मामले सामने आए हैं। इन परीक्षाओं में कई बार 'मुन्ना भाइयों' को भी पकड़ा जा चुका है और जांच में यह पहलू भी सामने आया है कि नोएडा और हरियाणा के पेशेवर गिरोह एसएससी की परीक्षाएं पास कराने के ठेके लेते रहे हैं। इस गिरोह के निशाने पर सिर्फ एसएससी ही नहीं केंद्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली अन्य परीक्षाएं भी रही हैं। रेल भर्ती परिषद की कई परीक्षाएं इस गिरोह का शिकार हो चुकी हैं। यह आश्चर्यजनक है कि पुलिस कई बार गिरोह से जुड़े सदस्यों की गिरफ्तारी कर चुकी है। अब से कुछ साल पहले एसएससी की परीक्षाओं में नकल कराने वाले गिरोह के कई सदस्यों की गिरफ्तारी हुई थी लेकिन, पूरा तंत्र अब तक नष्ट नहीं किया जा सका। आगरा में मल्टी टास्किंग परीक्षा में पेपर आउट होना इसका उदाहरण है।कर्मचारी चयन आयोग केंद्रीय विभागों के लिए भर्ती परीक्षाएं आयोजित कराता है इसलिए इसमें बड़ी संख्या में अभ्यर्थी शामिल होते हैं। हर परीक्षा में दस-बारह लाख अभ्यर्थियों का शामिल होना तो सामान्य सी बात है। जिस मल्टी टास्किंग परीक्षा में पेपर आउट हुआ है, उसमें ही दावेदारों की संख्या पचास लाख से अधिक बताई जा रही है। जाहिर है कि आयोग पर शुचिता बनाए रखने की बड़ी जिम्मेदारी है लेकिन, नकल माफिया पिछले कई वर्षो से उसकी साख पर बट्टा लगाते रहे हैं। वे नकल के लिए आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ साल पहले लखनऊ में ऐसे डिवाइस बरामद भी हुए थे, जिसके सहारे अभ्यर्थियों को नोएडा से नकल कराई जा रही थी। यह कहने की बात नहीं कि नकल की घटनाएं युवाओं में हताशा भरती हैं और आयोग के लिए भी यह चिंता की बात है। आयोग ने अपने स्तर से कई कदम उठाए भी हैं और कुछ परीक्षाएं ऑनलाइन शुरू की गई हैं लेकिन, यह पर्याप्त नहीं है।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]