देश के सबसे बड़े स्वास्थ्य सर्वेक्षण में यह तथ्य पंजाब के लिए सुकून वाला है कि शराब के सेवन में सूबे का 18 वां स्थान है। सुकून इसलिए क्योंकि पिछले कुछ समय से पंजाब में नशे के सेवन व तस्करी को लेकर काफी हाय - तौबा मची हुई है। हालांकि जिन नशीले पदार्थों को लेकर ज्यादा चिंता जताई जा रही है उनमें मुख्यतया चिट्टï, हेरोइन, स्मैक, अफीम, भुक्की इत्यादि हैैं लेकिन इन सभी के साथ शराब को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कुछ लोग यह तर्क-वितर्क जरूर करते हैैं कि जब सरकार शराब की दुकानें खोलने के बाकायदा लाइसेंस जारी करती है, यानी इसे विक्रय व सेवन की वैधता है तो इसके सेवन में क्या हर्ज? लेकिन नशा तो नशा है। शराब के मामले में खतरा व चुनौती इसीलिए ज्यादा है क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध है और कहीं न कहीं इसे सामाजिक मान्यता भी मिली हुई है। पंजाब को खाते-पीते लोगों का सूबा माना जाता है और यहां के खुशमिजाज लोग हर छोटी-बड़ी खुशी, त्योहार, उत्सव को दिल से मनाते हैं। इसलिए शायद यह धारणा बनती गई कि यहां शराब का सेवन भी बहुत होता है। सच तो यह है कि नशे के कारण पंजाब पिछले कुछ समय में बदनाम हुआ है। ऐसा उन कुछ लोगों के कारण हुआ जो नशे की तस्करी में शामिल हैैं या युवाओं को किसी न किसी तरह बरगला कर नशे की अंधेरी दुनिया में धकेल रहे हैैं। दूसरी ओर आम पंजाबी अपनी सेहत के प्रति फिक्रमंद हुआ है। कसरत, सैर, योग , डाइंिटग इत्यादि की ओर उसका रुझान बढ़ा है। शराब के सेवन में पंजाब देश भर में 17वें स्थान पर है, यह भी इसी का प्रमाण है। इस सर्वेक्षण पर भरोसा इसलिए किया जा सकता है क्योंकि यह स्वास्थ्य महकमे द्वारा करवाया गया अब तक का सबसे बड़ा स्वास्थ्य सर्वेक्षण है। अगर हाईवे के किनारे बने ठेकों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कड़ाई से अमल हुआ तो यह उम्मीद की जा सकती है कि इसका भी सकारात्मक असर नजर आएगा। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि हाईवे के किनारे बने ठेकों के कारण शराब हर कहीं पर आसानी से उपलब्ध है। सड़क हादसों का भी एक कारण यह है। शराब का सेवन अन्य राज्यों से कम है, यह अच्छी बात है लेकिन असल में बात तब बनेगी जब अन्य नशीले पदार्थों की तस्करी व सेवन पर भी रोक लगे। स्वास्थ्य विभाग को भी चाहिए कि शराब की तरह ही अन्य नशीले पदार्थों के सेवन को लेकर भी खासकर पंजाब में सर्वेक्षण कराए जिससे सही तसवीर सामने आ सके।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]