बजट सत्र के दौरान आपत्तिजनक बयान को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी सदन से सड़क तक पहुंच जाएगी, इसका अनुमान नहीं था। यह लड़ाई कुछ लंबी खिंचती जा रही है। लगातार तीन दिन विधानमंडल के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित होती रही। इस बीच प्रधानमंत्री पर मंत्री अब्दुल जलील मस्तान की टिप्पणी से आहत भाजपा ने राजभवन मार्च भी किया। शनिवार को जिला मुख्यालयों पर धरना आयोजित कर मंत्री की बर्खास्तगी की मांग की। गौरतलब यह कि शुक्रवार को सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विधान परिषद में वेल में आकर नारेबाजी की। उन्होंने भाजपा विधायक लालबाबू प्रसाद गुप्ता की टिप्पणी को आधार बनाते हुए आपत्ति दर्ज की। शनिवार को कुछ जगहों पर राजद के विभिन्न घटकों द्वारा विरोध दर्ज कराया गया। कुल मिलाकर देखा जाए तो परस्पर विरोध के इस रवैये का कोई फलाफल निकलता नहीं दिखता। एक महत्वपूर्ण मौके पर पक्ष-विपक्ष की विरोध की राजनीति से जनता को नुकसान हो रहा है। अभी का समय विधानमंडल में महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस और कुछ सकारात्मक हल निकालने का था। अब तक ऐसी स्थिति बनती नहीं दिखती। भाजपा ने मंत्री की बर्खास्तगी तक सदन से सड़क तक लड़ाई का एलान किया है। संभव है वह चरणवार इस लड़ाई को आगे बढ़ाए। यह देखा जाना चाहिए कि इस विवाद की चिंगारी किसने पैदा की और इसे किसने हवा दी। पक्ष व विपक्ष दोनों को इस गंभीर मुद्दे पर व्यावहारिकता का परिचय देते हुए हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए। भाजपा नेताओं ने मंत्री मस्तान पर आरोप लगाया है कि वे हमेशा विवादों में रहे हैं। ऐसे विवादित व्यक्ति को संवैधानिक पद पर बनाए रखना उचित नहीं। मंत्री की नागरिकता पर भी सवाल उठाए गए हैं। उधर उनकी पार्टी का कहना है कि मंत्री पद से हटाए जाने का सवाल ही नहीं उठता। सर्वप्रथम तो घटना की जांच होनी चाहिए, क्योंकि मंत्री ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि घटना के दिन वे वहां नहीं थे। हालांकि वीडियो के दृश्य और संवाद सीधे तौर पर उन्हें कसूरवार ठहराते हैं। इसलिए जरूरी है कि इस घटना की जांच हो। दूसरा पक्ष भाजपा विधायक की टिप्पणी का है, जिससे सत्ता पक्ष के लोग आहत हुए हैं। इस मामले की भी जांच होनी चाहिए। निराकरण की कोशिश ऐसी हो कि सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, विवादित और अमर्यादित बयान देने के पूर्व मंत्री और विधायक एक बार परिणाम के बारे में सोचने पर मजबूर हों। इस मामले में बिहार को मिसाल कायम करनी चाहिए, ताकि लोगों के बीच राजनीतिक शुचिता का संदेश जाए।
---

हाईलाइटर
मंत्री के बयान पर तनातनी बढ़ाने से मसला हल होता नहीं दिखता। सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोगों को व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए निराकरण का प्रयास करना चाहिए। ऐसी कोशिश हो कि लोगों के बीच राजनीतिक शुचिता का संदेश जाए।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]