विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो गया है। उम्मीद के अनुसार राज्यपाल रामनाथ कोविंद का अभिभाषण शराबबंदी पर केंद्रित रहा। इससे होने वाले सामाजिक बदलाव और जनता की खुशहाली पर उन्होंने विस्तार से अपनी बात रखी। कहा कि बिहार में शराबबंदी से समाज अधिक सशक्त, स्वस्थ एवं संयमी हो रहा है। शराबबंदी के कारण परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। पारिवारिक ङ्क्षहसा और सामाजिक अपराध में कमी आई है। निश्चय यात्रा पर निकले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ इसी अंदाज में शराबबंदी की तारीफ कर रहे थे। राज्यपाल ने इसी अंदाज में शराबबंदी को सराहा।
राज्यपाल के अभिभाषण के अलावा विधानसभा में आज बिहार के विकास की एक और छवि सामने आई। विधानसभा में वर्ष 2016-17 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया, जिसमें यह दिखा कि विकास के मामले में बिहार की रफ्तार देश की रफ्तार से भी ज्यादा है। राष्ट्रीय विकास दर 6.8 फीसद है जबकि बिहार की दर 7.6 फीसद। हालांकि प्रति व्यक्ति आय के मामले में कई जिलों में काफी असमानता दिखी है। पटना, मुंगेर और बेगूसराय राज्य के सबसे खुशहाल और मधेपुरा, सुपौल और शिवहर सबसे गरीब जिले हैं। राजधानी पटना को छोड़ भी दें तो दूसरे सर्वाधिक उन्नत जिले मुंगेर की प्रति व्यक्ति आय शिवहर से तीन गुनी अधिक है। इस क्षेत्र में काम करने की जरूरत है। बजट में सरकार इस संबंध में प्रावधान करेगी। सोमवार को राज्य का बजट पेश होना है। आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे बिहार के लिए नया बजट इस कारण बहुत अहम है, क्योंकि इसे केंद्रीय राशि में कटौती, बीआरजीएफ की रकम से वंचित होने के अलावा शराबबंदी के कारण राजस्व घाटे की भरपाई के साथ-साथ अपने बूते आगे बढऩे की राह बनानी है। केंद्र सरकार ने पिछले दिनों आम बजट पेश करते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि बिहार के लिए फिलहाल वह कोई विशेष प्रावधान नहीं करने जा रही। इस विकट परिस्थिति के बावजूद संभावना जताई जा रही है कि राज्य का बजट महिलाओं एवं युवाओं के चेहरे पर मुस्कान लाएगा।

फ्लैश
आर्थिक सर्वेक्षण में दिख रही विकास की स्थिति राहत देने वाली है। सोमवार को बजट पेश होना है। केंद्र से अपेक्षित मदद नहीं मिल रही। उम्मीद बिहार की सरकार विकास की राह पर तेज चलने के लिए नई रणनीति अपनाएगी।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]