उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की चिंता जरूर बढ़ गई होगी। इसकी वजह भी है। भाजपा की शक्ति जिस तरह से लगातार बढ़ रही है और जनता उसके पक्ष में वोट डाल रही है, उससे आने वाले समय में बंगाल भी अछूता नहीं रहेगा। बंगाल में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने खाता ही नहीं खोला बल्कि तीन सीटें भी जीतीं और कई सीटों पर दूसरे नंबर पर भी रही। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे पर ममता की निगाहें टिकी हुई थीं क्योंकि ममता ने सपा-कांग्रेस गठबंधन का खुलकर समर्थन किया था। वे केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार के खिलाफ भी हमेशा मुखर रही हैं, ऐसे में इसके नतीजे का बंगाल की राजनीति पर दूरगामी असर पडऩा लाजिमी है। बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने के बाद कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत बंगाल के लिए भी महत्वपूर्ण है। आगामी वर्ष होने वाले पंचायत चुनाव से ही इसका असर दिखने लगेगा। असल में नरेंद्र मोदी की ताकत बढऩा ममता के लिए बुरी खबर है। प्रदेश भाजपा नेता हाल में कोलकाता में सीबीआइ अधिकारियों से मिले थे और चिटफंड घोटालों की जांच में तेजी लाने का अनुरोध किया था। घोष ने यहां तक कहा था कि भाजपा के वरिष्ठ नेता यूपी चुनाव में व्यस्त रहने के कारण बंगाल पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाए हैं। उत्तर प्रदेश में चुनाव संपन्न होने के बाद जनता के रुपये लूटने वाले समस्त तृणमूल नेता सलाखों के पीछे होंगे। इसपर तृणमूल ने भी पलटवार करते हुए आरोप लगाया था कि भाजपा उसके नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए सीबीआइ एवं प्रवर्तन निदेशालय का इस्तेमाल कर रही है। वहीं भाजपा भी तृणमूल सरकार पर अपने नेताओं के खिलाफ सीआइडी का इस्तेमाल करने का आरोप लगा रही है। ऐसे में अब यूपी चुनाव संपन्न होने के बाद जांच में हरकत देखने को मिल सकती है, जिससे बंगाल की राजनीति एक बार फिर से गरमा सकती है। वहीं कहा जा रहा था कि यदि अखिलेश यादव को जीत मिलती तो ममता को मोदी पर दबाव बनाने का बड़ा मौका हाथ लग जाता। वहीं नोटबंदी को लेकर जो विरोध वह कर रही थीं, उसे भी बल मिलता लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
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(हाइलाइटर:::: ऐसे में अब यूपी चुनाव संपन्न होने के बाद जांच में हरकत देखने को मिल सकती है, जिससे बंगाल की राजनीति एक बार फिर से गरमा सकती है। वहीं कहा जा रहा था कि यदि अखिलेश यादव को जीत मिलती तो ममता को मोदी पर दबाव बनाने का बड़ा मौका हाथ लग जाता। वहीं नोटबंदी को लेकर जो विरोध वह कर रही थीं, उसे भी बल मिलता लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]