यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है पंजाब में सरप्लस होते हुए भी लोगों को निर्बाध रूप से बिजली नहीं मिल पा रही है। हालत यह है कि कहीं मरम्मत के नाम पर घोषित तो कहीं अघोषित रूप से घंटों बिजली के कट लग रहे हैं। खासकर मालवा के कुछ जिलों में तो आठ से दस घंटे तक बिजली नहीं मिल रही है। प्रदेश के उद्योग भी बिजली कट मार ङोल रहे हैं और इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है। ऐसा तब है जबकि विगत वर्षो में पंजाब में पावर सिस्टम को करोड़ों रुपये खर्च कर अपग्रेड किया गया है। इसके बावजूद आज भी प्रदेश में फाल्ट की समस्या का निदान नहीं हो सका है और रोजाना प्रदेश भर में इसकी सैकड़ों शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। हालांकि गत सरकार ने प्रदेश में बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए कई कदम उठाए थे और यही कारण है कि आज प्रदेश में बिजली सरप्लस है। सरप्लस बिजली पाकिस्तान व नेपाल को बेचने की बात मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष रख चुके हैं। जब स्थिति ऐसी है कि बिजली बेची जा सके तब सबसे पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रदेश की जनता और उद्योगों को निर्बाध रूप से बिजली की आपूर्ति हो सके, दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पा रहा है। खासकर नई सरकार के गठन और मौसम में परिवर्तन के साथ ही बिजली की समस्या गहरा गई है। प्रदेश सरकार और बिजली विभाग को सबसे पहले उन कारणों की तलाश करनी चाहिए, जिनके कारण बिजली आवश्यकता से अधिक होने के बावजूद इसकी सप्लाई बाधित हो रही है। साथ ही अव्यवस्था और कुप्रबंधन को दूर करने के लिए भी अतिशीघ्र आवश्यक कदम उठाना चाहिए। इस आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि मई व जून में जब गर्मी अपने चरम पर होगी तब बिजली की मांग कई गुना बढ़ जाएगी। आवश्यक है कि समय रहते इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी जाएं।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]