प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री का जम्मू-कश्मीर के दूरदराज क्षेत्रों में मरीजों के इलाज के लिए हेली क्लिनिक शुरू करने का सुझाव सही है। अगर इस पर अमल करने की दिशा में राज्य सरकार कोई भी प्रयास करती है तो इससे लाखों लोगों को लाभ होगा। राज्य में इस समय स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से नहीं छुपा है। विशेष तौर पर दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोग इलाज के लिए पूरी तरह से शहरी क्षेत्रों पर निर्भर हैं। राज्य की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि कई क्षेत्रों में पहुंचने के लिए घंटों लग जाते हैं। ऐसे में कई बार इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग बिना इलाज के ही दम तोड़ने को विवश हो जाते हैं। यह मुद्दा कई बार राज्य विधानसभा में भी उठा। विडंबना यह है कि बावजूद इसके इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए कुछ भी नहीं हुआ। यह सही है कि राज्य सरकार ने इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्र खोले हुए हैं, मगर इनमें कभी भी पर्याप्त स्टाफ और दवाई उपलब्ध नहीं हुई। अगर इन क्षेत्रों में स्थित स्वास्थ्य केंद्रों में किसी को नियुक्त किया भी जाता है तो वे वहां पर नहीं जाते हैं। अगर इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा की जाए तो महामारी के मामले में भी इन्हीं क्षेत्रों में अधिक फैलते हैं। जम्मू, कश्मीर तथा लद्दाख तीनों क्षेत्रों में स्थिति ऐसी ही है। दुख की बात यह है कि इन क्षेत्रों को राज्य सरकार ने कभी भी प्राथमिकता पर नहीं रखा। इसका एक प्रमुख कारण इन क्षेत्रों में सड़क संपर्क मार्ग व मूलभूत सुविधाएं भी नहीं होना है। राज्य सरकार को चाहिए कि वे ऐसे क्षेत्रों को सड़क संपर्क मार्ग से भी जोड़े। स्वास्थ्य सुविधाएं हर किसी का मूल अधिकार है, लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब इन क्षेत्रों में राज्य सरकार गंभीरता से सुविधाओं में सुधार के लिए प्रयास करे। हेली क्लिनिक एक बेहतर विकल्प है और इस पर मंथन करने की जरूरत है। अगर सप्ताह में एक बार भी एक गांव में डॉक्टर पूरी टीम के साथ दौरा कर लोगों के स्वास्थ्य की जांच करता है तो कई लोगों में न सिर्फ बीमारियों का पता चल सकेगा, बल्कि वे विभिन्न प्रकार की बीमारियों के प्रति जागरूक भी हो सकेंगे। मगर यह तभी संभव होगा जब मुख्यमंत्री स्वयं इसमें रुचि लें। अन्यथा यह मात्र एक बयान तक ही सीमित होकर रह जाएगा और जो उम्मीद की किरण जगी है, वह भी धूमिल पड़ जाएगी।

स्थानीय संपादकीय- जम्मू-कश्मीर