नेब सराय थाने से महज 400 मीटर की दूरी पर एक फार्म हाउस में अवैध रूप से कसीनो का चलना दिल्ली पुलिस की लचर कार्यशैली का जीता जागता सुबूत है। यह इस बात का भी प्रमाण है कि दिल्ली पुलिस को इस बात तक की भनक नहीं लगती कि उसकी नाक के नीचे क्या हो रहा है। इस तरह की गतिविधि से दिल्ली पुलिस के कर्मचारियों पर भी सवाल उठना लाजिमी है। देश की सबसे हाईटेक पुलिस फोर्स में शुमार होने के बावजूद जब इसे कसीनो का कई महीने तक पता नहीं चला तो इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी बड़ी घटना के बाद दिल्ली पुलिस किस तरह से काम करती होगी। इस मामले की पुलिस महकमे को गंभीरता से जांच करनी चाहिए। किसी एक फार्म हाउस पर 36 लोग इकट्ठे हों और उसकी जानकारी तक पुलिस को न हो। यह कैसे संभव हो सकता है। इससे सवाल उठता है कि क्या नेब सराय जैसे इलाके में भी पुलिस गश्त नहीं करती। पुलिस की लापरवाही का पता इससे भी चलता है कि कसीनो में प्रवेश के लिए पांच लाख रुपये की फीस थी, लेकिन एक रुपया भी वहां से बरामद नहीं हुआ। इससे साफ है कि रकम को हाईटेक तरीके से तुरंत ठिकाने लगा दिया जाता था। शराब की 23 बोतलें बरामद होने से साफ है कि वहां खुलेआम शराब परोसी जाती थी। यह विडंबना ही है कि इसकी जानकारी भी पुलिसकर्मियों को नहीं थी।
दरअसल, यह पहला मामला नहीं है जब दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले कुछ महीने पहले पश्चिमी दिल्ली में थाने से महज 100 मीटर की दूरी पर ही बदमाश वारदात को अंजाम देकर चले गए, लेकिन पुलिस को वहां पहुंचने में दो घंटे से भी ज्यादा का वक्त लग गया। उस समय भी यह बात सामने आई थी कि दिल्ली पुलिस की गुप्तचर व्यवस्था कितनी चुस्त है। न जाने ऐसी कितनी घटनाएं हो चुकी हैैं, इसके बावजूद पुलिस अपनी गुप्तचर व्यवस्था सुधारने को लेकर गंभीर नहीं दिखती। दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों को इस बारे में तत्काल प्रयास तेज करने चाहिए। साथ ही पुलिस को स्थानीय लोगों से सामंजस्य बिठाना चाहिए ताकि हर तरह की घटनाओं की जानकारी उसके पास पहुंच सके। जानकारी मिलने के बाद पुलिस को कार्रवाई भी करनी चाहिए जिससे लोगों में उसके प्रति विश्वास में वृद्धि हो सके। जब तक ऐसा नहीं होगा कोई भी पुलिस की मदद को आगे नहीं आएगा और असामाजिक तत्व इसी तरह फायदा उठाते रहेंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]