मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 36 का आंकड़ा है। नोटबंदी के बाद ही नहीं उससे पहले भी और 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी ममता पानी पी-पीकर मोदी को कोसती रहीं। प्रधानमंत्री बनने के बाद कई माह तक ममता नरेंद्र मोदी के बुलाए बैठकों से दूर रहीं। बाद में स्थिति थोड़ी बदली। पर, नोटबंदी के बाद तो मानों तृणमूल प्रमुख तो सिर आसमान पर लेकर मोदी के पीछे पड़ गई थीं। केंद्र सरकार के लगभग हर फैसले को गलत बताते हुए उसमें मीन-मेख निकाल रही थीं। इस हल्लाबोल के बीच ममता बंगाल में चल रही कई केंद्रीय परियोजनाओं के नाम बदलने नई राजनीति शुरू कर दी हैं। ममता ने केंद्र सरकार की कई परियोजनाओं के नाम बदल कर उसे बांग्ला नाम दे दिया है जिसमें सबसे पहले केंद्रीय खाद्य सुरक्षा योजना को खाद्यसाथी योजना दे दिया। इसके बाद अब बंगाल की ममता सरकार जल्द ही प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के नाम में से 'प्रधानमंत्री' शब्द को हटाने की तैयारी में है। राज्य के तृणमूल नेता व मंत्रियों का तर्क है कि ममता सरकार केंद्र की योजनाओं में 40 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदारी है, इस अधिकार से उसे केंद्र की योजनाओं के नाम बदलने का हक है। ममता सरकार ने अभी तक केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन का नाम बदल कर 'निर्मल बांग्ला' और दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना का नाम बदल कर 'आनंदधारा' कर दिया है। वहीं प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का नाम बदलकर बांग्ला गृह प्रकल्प कर दिया गया है। यहां सवाल यह उठता है कि आखिर नाम बदल कर ममता सरकार लोगों में क्या संदेश देना चाहती है? यही जो भी विकास कार्य हो रहा है वह सब उनकी सरकार कर रही है। राज्य यदि 40 फीसद रुपये खर्च करता है तो 60 फीसद राशि तो केंद्र का है। ऐसे में केंद्र की योजना का नाम बदलने का अधिकार राज्य को कैसे है? भाजपा नेताओं का कहना है कि ममता जानती हैं कि मोदी का कद लगातार बढ़ रहा है और उनके द्वारा घोषित कोई भी योजना राज्य में लागू होती है और उससे लोगों का भला होता है तो यहां के लोग भी मोदी के मुरीद हो जाएंगे। इसका नुकसान 2019 में उठाना पड़ेगा। यही वजह है कि केंद्रीय परियोजनाओं के नाम बदले जा रहे हैं।
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(हाईलाइटर::: ममता सरकार ने अभी तक केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन का नाम बदल कर 'निर्मल बांग्ला' और दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना का नाम बदल कर 'आनंदधारा' कर दिया है। वहीं प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का नाम बदलकर बांग्ला गृह प्रकल्प कर दिया गया है।)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]