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सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी बनती है कि कश्मीर के हालात को सामान्य बनाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को हरसंभव मदद करें
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मतदान से ठीक एक दिन पहले अनंतनाग संसदीय सीट पर उपचुनाव स्थगित करने के फैसले पर राजनीति होना स्वाभाविक है। इस सीट पर कश्मीर के हालात सामान्य न होने के कारण पहले से ही चुनाव टलता आ रहा था। इस बार भी श्रीनगर संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान जिस प्रकार से व्यापक ङ्क्षहसा हुई थी, तभी से यह आशंका जताई जा रही थी कि अनंतनाग सीट पर उपचुनाव स्थगित कर दिया जाएगा। इसके बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार ने भी चुनाव के लिए माहौल सही नहीं होने की बात कही। इस समय कश्मीर के जो हालात हैं, वे किसी से छुपे नहीं हैं। हर दिन अलगाववादियों के आह्वान पर कहीं न कहीं ङ्क्षहसक झड़पें हो रही हैं जिनमें कई सुरक्षा कर्मी व अन्य लोग घायल हो रहे हैं। विडंबना यह है कि इसका खामियाजा हर कोई भुगत रहा है और हालात को सामान्य बनाने के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। श्रीनगर सीट पर मतदान के दिन जिस प्रकार से हिंसा हुई थी, उसने हर किसी को यह संदेश दिया कि सरकार के हालात सुधार के दावे पूरी तरह से खोखले हैं।
अब चुनाव स्थगित होने से इन दावों का भी बल मिला है और विपक्ष को भी राजनीति करने का मौका। बेहतर होगा कि इस मुद्दे पर विपक्ष राजनीति करने के बजाय जिम्मेदारी दिखाए और हालात को सामान्य बनाने में राज्य व केंद्र सरकार को भी हरसंभव मदद दे। कश्मीर में ङ्क्षहसा के कारण हर वर्ष सैकड़ों युवाओं की मौत हो रही है और कई सुरक्षाकर्मी शहीद हो रहे हैं। अलगाववादियों का पूरा प्रयास है कि इन हालात को और खराब किया जा सके। वे युवाओं को गुमराह करने में लगे हुए हैं और उनसे देशविरोधी नारे लगवा रहे हैं तथा पत्थरबाजी करवा रहे हैं। अलगाववादी जानते हैं कि अगर चुनावों में बड़ी संख्या में लोग मतदान करने के लिए आगे आए तो विश्वभर में यह संदेश जाएगा कि कश्मीर के हालात सामान्य है। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में उमड़ी मतदाताओं की भीड़ इसकी द्योतक है। इस सभी पर राष्ट्रीय व मुख्यधारा के दलों को मंथन करने की जरूरत है। अगर इस मुद्दे पर राजनीति होती है तो निश्चित रूप से कश्मीर के हालात ठीक करने में सरकार को भी परेशानी होगी। केंद्र व राज्य सरकार को भी चाहिए कि वे सभी दलों के नेताओं को विश्वस में लेकर कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]