वैसे तो पिछले एक माह से भाजपा नेताओं के एक-एक कर बंगाल दौरा करने से राज्य के सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस, विपक्षी वामपंथी दल और कांग्रेस में भी बेचैनी बढ़ गई थी, लेकिन मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बंगाल दौरा शुरू होने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वामपंथी नेताओं की बेचैनी और बढ़ गई है। अमित शाह के बंगाल की धरती पर पैर रखते ही राज्य में एकाएक राजनीतिक उफान शुरू हो गया। बुधवार को शाह के मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र व आवासीय इलाका भवानीपुर में जनसंपर्क अभियान पर ममता ने कहा कि बंगाल की मिट्टी बहुत सख्त है। कोई भी दांत गड़ाने की कोशिश करेगा तो दांत टूट जाएगा। इसके पहले ममता ने नक्सलबाड़ी में शाह की सभा करने पर कहा था कि भाजपा दंगा करानेवाली पार्टी है। वह धर्म के नाम पर लोगों को बांटकर दंगा-फसाद कराने जुटी है। साथ ही मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता से चुनावों में भाजपा को एक भी वोट नहीं देने व कोई भी व्यक्ति शामिल न हो इसकी अपील की। जनता से भाजपा को एक भी वोट नहीं देने की अपील करना तो यही दर्शाता है कि भाजपा के उत्थान से ममता की चिंता कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। अमित शाह ने ममता बनर्जी के खास गढ़ में जाकर उन्हें राजनीतिक चुनौती दी है। ममता के क्षेत्र में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बूथ स्तर पर जनसंपर्क अभियान करने में पूर्ण सफल हो जाना ही अपने आप में उत्साहजनक है। इसलिए कि माकपा अपने 34 वर्षों के शासन में ममता के गढ़ में जाकर जो राजनीतिक कर्मकांड नहीं कर सकी उसे अमित शाह ने बूथ स्तर सभा करके दिखा दिया।
माकपा सांसद मोहम्मद सलीम का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस के साथ राजनीतिक साठगांठ के तहत ही भाजपा राज्य में पांव पसार रही है। माकपा और वाममोर्चा के अन्य घटक दल ही सांप्रदायिक ताकतों से लड़ रहे हैं। राज्य के कालेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों में जहां वामपंथी छात्र संगठनों के प्रवेश पर तृणमूल कांग्रेस ने रोक लगा दी है वहीं उन शिक्षण संस्थानों में आरएसएस को परेड करने की अनुमति मिल रही है। इससे तो यही साबित होता है कि भाजपा से तृणमूल नहीं बल्कि वामपंथी दल ही लड़ाई कर रहे हैं। बयानबाजी से हटकर देखे तो अभी कोई चुनावी मौसम नहीं है लेकिन अमित शाह के बंगाल दौरा पर होने से माहौल चुनाव से भी कुछ ज्यादा गर्म हो गया है।
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(हाईलाइटर::: जनता से भाजपा को एक भी वोट नहीं देने की अपील करना तो यहीं दर्शाता है कि भाजपा के उत्थान से ममता की चिंता कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है।)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]