चंदौली में कोतवाली से चंद कदम दूर दो तल्ला पक्के मकान में विस्फोट से महिला की मौत हो गई और उसकी पुत्री गंभीर रूप से घायल है। घटना के बाद पुलिस ने गृहस्वामी को हिरासत में ले लिया है। वह काफी दिनों से घर में अवैध रूप से पटाखे बनाने का कार्य कर रहा था। पुलिस को जांच के दौरान घर में बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री मिली है। एक दो दिन में लोग इस घटना को भूल जाएंगे, सिवाय उस परिवार के जो अब बर्बाद हो चुका है। घटना के बाद पुलिस अब वो सारे काम कर रही है, जो उसे पहले करना चाहिए था।यह कोई पहली घटना नहीं है। ज्यादातर मामलों में अवैध रूप से पटाखा बनाने के दौरान घटनाएं सामने आई हैं। सवाल है कि क्या पुलिस को अपने क्षेत्र में बिना लाइसेंस अवैध पटाखे बनाने की जानकारी नहीं होती या फिर यह इतना गुपचुप काम है कि उसकी भनक तक पुलिस को नहीं लगती। यदि ऐसा है तो यह और भी खतरनाक है। क्योंकि पटाखे बिना विस्फोटक सामग्री के नहीं बन सकते। अवैध रूप से पटाखे बनाने वालों तक कई-कई क्विंटल विस्फोटक पहुंच जाते हैं और पुलिस को जानकारी नहीं मिल पाती है। ऐसे में यदि किसी इलाके में असामाजिक तत्व या आतंकवादी खतरनाक विस्फोटक या अत्याधुनिक हथियार लेकर घूमे या जमा कर लें तो पुलिस को कैसे पता चलेगा। कहने को पुलिस आतंकी मामलों को रोकने के लिए अपने आपको बहुत सतर्क दिखाती है। तमाम खुफिया एजेंसियों से इनपुट होने के बाद पूरी तरह से चाक-चौबंद होने का भी दिखावा करती है लेकिन, उसी के क्षेत्र में बड़ी मात्रा में विस्फोटक पहुंच जाते हैं, पटाखे बनकर बाहर भी बिकने चले जाते है, पर उसकी जानकारी उसे नहीं हो पाती है। सच तो यह है कि पुलिस की नजरों से लंबे समय तक कोई भी अवैध काम छिपा नहीं रह सकता। इसके बावजूद पुलिस ने उस तरफ से आंख बंद कर रखी हो तो उसका कुछ मतलब हो सकता है। इसी मतलब को समाप्त करने की जरूरत है। आज भले ही पुलिसिंग प्रणाली में बदलाव और पुलिस के आधुनिकीकरण के दावे किए जा रहे हों, पर यह धरातल पर कम और कागजों में ज्यादा है। अवैध कार्यो को बढ़ावा देने में लिप्त पुलिसकर्मियों पर अंकुश लगाने की जरूरत है। आधुनिकीकरण से ज्यादा जवाबदेह पुलिस ज्यादा कारगर है। क्योंकि घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस का इकबाल होना काफी है, जो कि वह जिम्मेदार और जवाबदेह होकर ही कायम कर सकती है।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]