अमन-चैन बनाए रखना हर सरकार की प्राथमिकता होती है। लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह से रोहतक, झज्जर, गुरुग्राम समेत कुछ जिलों में अदालत परिसर और उसके बाहर गैंगवार के कारण हत्याएं हुईं, उससे कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे थे। विपक्षी दल भी कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने के लिए प्रदेश सरकार को निशाने पर ले रहे थे। यही वजह थी कि दो दिन पहले रोहतक में पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में पासिंग आउट परेड के दौरान प्रदेश के पुलिस मुखिया केपी सिंह ने जोर देकर कानून व्यवस्था सुदृढ़ करने और अपराधियों अंकुश लगाने की बात कही। उनकी बात सच साबित हो गई और हरियाणा सहित कई प्रदेशोंं में आतंक का पर्याय बन चुके कैथल के सुरेंद्र ग्योंग को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। डीजीपी ने कहा था कि हम कानून व्यवस्था मजबूत करने को जल्द तीन नए अभियान चलाएंगे। हालांकि उन्होंने इसके बारे में कोई जानकारी तो नहीं दी थी, लेकिन इतना जरूर कहा था कि इनके शुरू होने से महिलाओं से छेड़छाड़ बिल्कुल बंद हो जाएगी। उनका दावा था कि अपराधी हरियाणा छोड़कर जले जाएंगे। ग्योंग के एनकाउंटर को इसी परिपेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। उसे कैथल और करनाल की पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन में मार गिराया। वह झज्जर जेल से एक माह के पैरोल आया था लेकिन लौटा नहीं और अपराध की दुनिया में फिर सक्रिय हो गया। जेल में रहते सर्वसम्मति से सरपंच बना सुरेंद्र राजनीतिक वरदहस्त भी रखता था। उसका एनकांउटर एक तरह से पेशेवर अपराधियों को प्रदेश सरकार की चेतावनी भी है। पिछले कुछ वर्षों में एनकांउटर का यह तीसरा मामला था। हुड्डा सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान जरूर कुछ अपराधियों के एनकाउंटर हुए थे लेकिन उसके बाद इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब आवश्यकता है कि भय मुक्त प्रदेश में अमन-चैन स्थापित करने के लिए गुंडा तत्वों पर लगातार सख्ती बरती जाए।

[ स्थानीय संपादकीय : हरियाणा ]