प्रदेश में करीब नौ लाख जनप्रतिनिधियों के होने जा रहे चुनाव इस बार कई मायनों में खास और दूरगामी संदेश देने वाले होंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था के तहत 25 सितंबर से 15 दिसंबर के बीच जिला, क्षेत्र, ग्राम पंचायत सदस्यों और ग्राम प्रधानों के 8,85,819 पदों पर चुनाव कराने की घोषणा की है। पार्टी सिंबल पर न लड़े जाने के बावजूद ये चुनाव परंपरागत तौर पर विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल की तरह होंगे जहां पिछले दरवाजे से हर पार्टी अपने समर्थित उम्मीदवार को जिताने की कोशिश करेगी। रवायत है कि पंचायत चुनाव 'जिसकी सत्ता उसकी जीत की तर्ज पर लड़े जाते हैं जबकि विपक्षी पार्टियां सेंधमारी कर जमीन तलाशती हैं। रवायत में जरा भी दरार का आशय होता है कि सत्तादल की साख कमजोर हुई है। इस तरह यह भविष्य के बदलावों का संकेत भी देते हैं। लोकतंत्र की सबसे बुनियादी संस्था होने के कारण यदि कोई भावनात्मक लहर न हो तो पंचायत चुनाव राष्ट्रीय हलचल और प्रदेश के बड़े मुद्दों से अछूते ही रहते हैं। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक छाये विकास, भ्रष्टाचार और सुशासन के मुद्दे पंचायत चुनावों में भी कोई असर छोड़ेंगे या यह परंपरागत रूप से स्थानीय और जातीय मुद्दों पर ही सिमटा रहेगा।

हालांकि, इस राजनीतिक गुणा-भाग से इतर भी पंचायत चुनाव से कई अपेक्षाएं हैं। पंचायत चुनाव राजनीतिक शिक्षा की प्राइमरी पाठशाला की तरह काम करते हैं। आज हमारी राजनीतिक व्यवस्था में जिन अच्छाइयों अथवा बुराइयों की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होती है उनके बीज रोपण अथवा उन्मूलन का यह सबसे अच्छा अवसर है। प्रदेश की 78 फीसद ग्रामीण आबादी जिस चरित्र के नौ लाख जनप्रतिनिधियों के हाथों में अपना नेतृत्व सौंपेगी उसे भविष्य की वैसी ही राजनीति राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर दिखेगी। निश्चय ही इसके लिए उसे नितांत स्थानीय और जातीय चिंताओं से जूझने का माद्दा रखने वाले ही नहीं भविष्य की दृष्टि और सोच रखने वाले प्रतिनिधि चुनने होंगे। चुनाव भले अभी घोषित हुए हों लेकिन विभिन्न राजनीतिक दल पंचायतों को प्रयोगशाला बनाकर लंबे समय से समीकरण तैयार करने में जुटे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से कुछ नकारात्मक संकेत भी मिल रहे हैं। इसके दृष्टिगत चुनाव आयोग के लिए शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराना भी चुनौती होगा। उम्मीद है केंद्रीय बलों की पर्याप्त तैनाती और सूझबूझ से आयोग इस चुनौती का मुकाबला करेगा लेकिन वास्तविक भूमिका जनता को ही निभानी पड़ेगी।

[स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश]