हाईलाइटर
झरिया में धरती के नीचे कोयले के भंडार में लगी आग दशकों पुरानी समस्या है। यह बड़े पैमाने पर इलाके में अवैध खनन का प्रतिफल है।
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देश की कोयला राजधानी धनबाद के झरिया में बुधवार को हुई लोमहर्षक घटना झकझोरने वाली है। एकाएक जमीन फटने से यहां एक पिता-पुत्र असमय काल की गाल में समा गए। झरिया में कोयले का बड़ा भंडार है, जिसमें आग लग चुकी है। आबादी के रहने के लिहाज से यह पूरा इलाका खतरनाक क्षेत्र घोषित हो चुका है। एकमात्र विकल्प पूरे क्षेत्र से लोगों को हटाना है लेकिन बार-बार हिदायत के बावजूद लोगों का अपनी धरती से जुड़ाव उन्हें मौत के मुहाने पर रहने को मजबूर करता है। ऐसे में शासन का यह फर्ज है कि लोगों को बेहतर पुनर्वास व्यवस्था के साथ यहां से स्थानांतरित करने का प्रयास करे। यह प्रक्रिया चल भी रही है लेकिन इसमें बड़े पैमाने पर तकनीकी जटिलता भी सामने आई है। लोग नए स्थान पर शिफ्ट नहीं होना चाहते। उन्हें समझाना होगा कि धरती के भीतर लगी आग कभी भी भयानक रूप ले सकती है। फिलहाल छोटे स्तर पर इसका भयावह रूप देखने को मिल रहा है। झरिया में धरती के नीचे कोयले के भंडार में लगी आग दशकों पुरानी समस्या है। यह बड़े पैमाने पर इलाके में अवैध खनन का प्रतिफल है। कोयला कंपनियों ने इसे रोकने की पहल तो की लेकिन इसपर काबू पाना अब नामुमकिन है। कोशिश इस स्तर पर हो रही है कि नए इलाके में आग नहीं फैले। राज्य सरकार ने झरिया में बसे लोगों को पुनर्वासित करने के लिए एक्शन प्लान भी तैयार किया है। लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग इसे लेकर ज्यादा गंभीर नहीं दिखता। औपचारिकता निभाने के लिहाज से बस महज कुछ बैठकें हुई हैं लेकिन ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। हरकत तब होती है जब कोई घटना सामने आती है। पूरे इलाके में जहरीले धुएं का रिसाव भी एक बड़ी समस्या है जो आबादी के लिए मुश्किलें पैदा करता है। बेहतर यही होगा कि स्थानीय जिला प्रशासन, कोल कंपनियां राज्य सरकार के साथ मिलकर एक ठोस रणनीति बनाए और उसपर पूरी गंभीरता से काम हो। अगर पूरे क्षेत्र को खाली कराना ही एकमात्र विकल्प है तो लोगों को विश्वास में लेकर इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सकता है। बेहतर होगा कि जिन स्थानों पर पुनर्वास की व्यवस्था की गई है वहां शिफ्ट होने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाए। प्रशासन वैसे लोगों पर निगाह रखे जो राहत एवं पुनर्वास योजनाओं की आड़ में लोगों को ठगते हैं और खुद इसका बड़े पैमाने पर लाभ उठाते हैं। ऐसे लोगों के साथ हर हाल में कड़ाई से पेश आना होगा।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]