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हल्की बारिश होने पर जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग का बंद हो जाना चिंताजनक है, सैकड़ों यात्री जम्मू बस स्टैंड और रास्ते में फंसे हुए हैं
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हल्की बारिश के कारण जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग का बंद हो जाना इस दृष्टि से चिंताजनक है कि इससे कश्मीर घाटी शेष सड़क मार्ग से कटकर रह जाती है। हजारों की संख्या में यात्री दोनों ओर से फंस कर रह जाते हैं। राज्य में पिछले चार दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण राजमार्ग के बंद होने से सैकड़ों यात्री जम्मू बस स्टैंड में फंसे हुए हैं। विडम्बना यह है कि जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग लोगों की लाइफ लाइन है। अगर यह मार्ग हल्की सी बारिश से ठप हो जाएगा तो नि:संदेह घाटी में खाने पीने की आवश्यक वस्तुओं की कमी आएगी। यह पर्वतीय श्रृंखला हिमालयन फुट हिल्स का हिस्सा है और यह पहाड़ भी नरम चट्टानों से बने हुए हैं। राजमार्ग की खस्ताहालत के लिए कुछ मानवीय भूल भी है जिससे आज यह पहाड़ अपनी जगह से हिल चुके हैं। हल्की सी कंपन से पूरा का पूरा पहाड़ धसक कर नीचे आ जाता है जिसमें कई बार जानमाल का भी नुकसान हो चुका है। इतना ही नहीं सड़क पर बड़ी चट्टानों को हटाने के लिए विस्फोट से पहाड़ जर्जर हो चुके हैं। ऐसे में चनैनी से नाशरी टनल के उद्घाटन का शिद्दत से इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद है कि यह टनल लोगों को इसी माह मार्च में खोल दी जाएगी। चनैनी से नाशरी तक का कुल सफर 41 किलोमीटर है। इससे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 132 किलोमीटर का सफर सुरक्षित और सुखद हो जाएगा। लेकिन बनिहाल तक का करीब साठ किलोमीटर का रास्ता भूस्खलन के लिए जाना जाता है। इस मार्ग पर कई टनलों का निर्माण जारी है। सरकार को चाहिए कि इस परियोजना को शीघ्र पूरा करने के लिए निर्माण कंपनियों को विश्वास में लें। इसके लिए जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग का विकल्प को जल्द तैयार करे। इसके लिए मुगल रोड सबसे बेहतर विकल्प है। लेकिन यह मार्ग भी कई जगह से टूटा-फूटा है जिस कारण यात्री इस मार्ग से गुजरने से पहले सोचते हैं। सरकार को चाहिए कि इस मार्ग पर टनल का निर्माण शीघ्र करे ताकि यह राजमार्ग बारह महीने खुला रहे। जिला किश्तवाड़ से सनथन टॉप होते हुए भी एक रास्ता कश्मीर से जुड़ता है। सरकार को चाहिए कि वह इन मार्गों की दशा को सुधारे ताकि कश्मीर आने वाले सैलानियों के आगे राजमार्ग कोई बाधा न बने। जम्मू बस स्टैंड में फंसे यात्रियों को श्रीनगर भेजने के लिए सरकार वायु सेना की मदद ले सकती है। कई यात्रियों के पास पैसे भी खत्म हो चुके हैं। अगर राममार्ग नहीं खुला तो उनकी समस्याएं और बढ़ सकती हैं।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]