कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा नारद स्टिंग कांड की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपे जाने से विरोधी दल उत्साहित हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के पास साहस है तो उन्हें जांच का सामना करना चाहिए। वहीं भाजपा का कहना है कि नारद स्टिंग कांड में तृणमूल के जिन मंत्रियों, नेताओं व सांसदों के नाम आये हैं, उन्हें तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए। वामपंथी दल तो इतने उत्साहित हैं कि वे जांच कार्य शुरू करने और दोषियों की अविलंब गिरफ्तारी की मांग पर सड़क पर उतर गए। वाममोर्चा ने शुक्रवार को महानगर में जुलूस निकाला, जिसमें वाममोर्चा के चेयरमैन विमान बोस, वाममोर्चा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती व माकपा के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्रा समेत अन्य वरिष्ठ कामरेड शामिल हुए। शनिवार को प्रदेश युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने दोषियों की गिरफ्तारी की मांग पर राजभवन गेट के समक्ष प्रदर्शन किया। कहने का तात्पर्य यह है कि इस मुद्दे पर ममता सरकार के गिर जाने की लालसा पालकर विपक्ष को अभी इतना उत्साहित होने की जरूरत नहीं है। अभी हाईकोर्ट के निर्देश का स्वागत करना ही ज्यादा तर्कसंगत है।
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, सांसद और मंत्री यदि नारद कांड या सारधा कांड में गिरफ्तार किए जाते हैं तो जाहिर है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेनकाब होंगी और उनकी सरकार के लिए भी मुश्किलें पैदा होंगी। इसके बावजूद पश्चिम बंगाल की राजनीति में ममता बनर्जी एकाएक शून्य नहीं हो सकतीं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि बंगाल में विपक्ष बहुत ही कमजोर और बिखरी स्थिति में है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सामने तो अस्तित्व बचाने की चुनौती है। अब तक कांग्रेस के छह विधायक टूटकर तृणमूल में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस में टूट जारी है। वामपंथी दल जनता से इस कदर कट गए हैं कि उनकी शक्ति भी सिमट गई है। वामपंथियों को जनता का भरोसा जीतने में अभी वक्त लगेगा। नई शक्ति के रूप में भाजपा के उभरने की संभावना जरूर है लेकिन बंगाल की सत्ता पर अचानक काबिज हो जाना उसके लिए भी अभी आसान नहीं है। विपक्षी दलों को शोर मचाने से ज्यादा राजनीतिक विकल्प बनने के लिए ठोस प्रयास करना होगा। इसके लिए जनता का भरोसा जीतना बहुत जरूरी है।
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(हाइलाइटर:::तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, सांसद और मंत्री यदि नारद कांड या सारधा कांड में गिरफ्तार किए जाते हैं तो जाहिर है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेनकाब होंगी और उनकी सरकार के लिए भी मुश्किलें पैदा होंगी।)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]