यह सुकून देने वाली खबर है कि अगले महीने से बिहार के किसी भी थाने में दर्ज कराई जाने वाली एफआइआर तुरंत ऑनलाइन हो जाएगी। इसका सीधा फायदा यह होगा कि वादियों और फरियादियों को अपने केस की प्रगति जानने के लिए रोज थाने के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। बहरहाल, कार्यप्रणाली पारदर्शी बनाने की यह मुहिम तब तक अधूरी मानी जाएगी, जब तक लोगों को एफआइआर दर्ज कराने की ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध नहीं करवा दी जाती। दरअसल, तमाम ऐसे फरियादी होते हैं जो विभिन्न कारणों से थाने जाने में झिझकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्यों से कहा है कि ऑनलाइन एफआइआर की सुविधा जल्द सभी थानों में विकसित की जाए। उम्मीद की जानी चाहिए कि राज्य सरकार आम आदमी का हित ध्यान में रखते हुए यह सुविधा शीघ्र ही सभी थानों में उपलब्ध करवा देगी। कार्यप्रणाली ऑनलाइन करने के साथ ही पुलिस को अन्य जरूरी साधनों-संसाधनों से लैस किया जाना चाहिए। अक्सर देखने में आता है कि पुलिस अपने पुराने वाहनों, हथियारों या अन्य साधनों के अभाव के चलते अपराधियों से मात खा जाती है। कई बार इन वजहों से सुरक्षाकर्मियों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। पुलिस आधुनिकीकरण एक अहम विषय है जिसे राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल रखा जाना चाहिए। उधर, पुलिस की भी जिम्मेदारी है कि वह शासन की अपेक्षा के अनुरूप कानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण, विवेचना और सामाजिक अभियानों के लिए खुद को मुस्तैद करे। शराबबंदी अभियान के प्रति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संकल्पबद्धता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी सराहना कर चुके हैं। राज्य के इस अभियान की सराहना पूरे देश में हो रही है। इस अभियान में कुछ पुलिसकर्मियों की शराब तस्करों के साथ मिलीभगत का पर्दाफाश राज्य के हर व्यक्ति को आहत करने वाली घटना है। पुलिस महकमे ने इस आरोप की पुष्टि होने पर कुछ अधिकारियों को बर्खास्त और निलंबित किया है। आवश्यक है कि पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारी कोई ऐसी कार्ययोजना बनाएं जिस पर अमल करके हर स्तर के पुलिसकर्मियों को शराबबंदी तथा ऐसे अन्य अभियानों के लिए मानसिक रूप से मजबूत बनाया जा सके। अपराध और कानून व्यवस्था के मोर्चे पर राज्य की नकारात्मक छवि बदलने का अच्छा तरीका है, पुलिस का आधुनिकीकरण। इस पर जितनी तत्परता से काम हो, बेहतर होगा।
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पुलिस की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता वक्त की मांग है। कई अवसरों पर पुलिस का चेहरा राज्य की सोच और प्रगति का प्रतीक बन जाता है। यह आवश्यक है कि राज्य पुलिस को प्राश्क्षिण, सूचना प्रौद्योगिकी, अस्त्र-शस्त्र, वाहन और अन्य सुविधाओं के लैस करके आधुनिक एवं पेशेवर बनाया जाए।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]