-----जब से सरकार बनी है न तो योगी शांत बैठे हैं और न ही मंत्रियों और विभिन्न विभागों के अफसरों को शांत बैठने दिया है। हर दिन जनता के मन में यही उत्सुकता रहती है कि सीएम अब क्या फैसला करेंगे।-----प्रदेश में योगी सरकार का एक माह का कार्यकाल बुधवार को पूरा हो जाएगा। उनके ताबड़तोड़ फैसलों ने बड़े-बड़े नेताओं, राजनीतिक पंडितों से लेकर आम जनता तक को चौंका दिया। कुछ लोग कह रहे हैं कि सरकार फैसले तो ले रही है, लेकिन उन्हें लागू कराना चुनौती होगा। उधर विपक्षी दल विरोध का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई पर जहां जबरदस्त प्रतिक्रिया आई, वहीं एंटी-रोमियो अभियान की भी आलोचना हुई। किसानों का ऋण जब तक माफ नहीं हुआ था, वादा खिलाफी का आरोप लगाया जा रहा था, माफ हो गया तो सरकारी खजाना लुटाने की बात होने लगी। फिलहाल जब से सरकार बनी है न तो योगी शांत बैठे हैं और न ही मंत्रियों और विभिन्न विभागों के अफसरों को शांत बैठने दिया है। हर दिन जनता के मन में यही उत्सुकता रहती है कि सीएम आज क्या नया फैसला करेंगे।बहरहाल, इस एक माह में योगी ने भले ही अपने संकल्प और इरादे को जाहिर कर दिया हो, पर उनके सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। प्रदेश बड़ा और भौगोलिक रूप से विविधता भरा भी है। इसलिए प्रदेश की कुछ सार्वभौमिक समस्याओं के अलावा हर क्षेत्र की अपनी विशिष्ट समस्याएं भी हैं। काम बहुत है, पर परिणाम देने की चिंता भी है। यही चिंता दृढ़ फैसले लेने के लिए भी सरकार को मजबूर कर रही होगी। दो साल बाद पार्टी को लोकसभा चुनाव में भी जाना है। विधानसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत की जवाबदेही का भी दबाव हो सकता है, लेकिन यह सबकुछ इतना आसान नहीं है। कुछ वर्षो में व्यवस्था पर सरकारों की ढीली पकड़ के कारण रसातल तक पहुंच चुके हालात को ही पहले धरातल तक लाने में मौजूदा सरकार के पसीने छूटने वाले हैं। आगे का रास्ता तो इसके बाद ही तय होगा। वस्तुत: अभी तो एक माह ही गुजरा है जबकि ५९ महीने अभी बाकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि एक माह में ही सरकार ने जनता की उम्मीदें जिस कदर बढ़ा दी हैं, वे आगे और क्या कमाल दिखाएंगी।

 [ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]