दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के सफल आवेदकों का फ्लैट लौटाना गंभीर चिंता का विषय है। यह जहां एक ओर डीडीए के प्रति लोगों में मोहभंग होने का संकेत देता है, वहीं यह भी दर्शाता है कि डीडीए लोगों को आशियाना उपलब्ध कराने के अपने उद्देश्य की आपूर्ति में विफल साबित हो रहा है। यह यकीनन निराशाजनक है कि 12617 फ्लैटों के लिए ड्रॉ निकलने के 15 दिनों के भीतर ही 500 से अधिक सफल आवेदकों ने फ्लैट लौटा दिए हैं। फ्लैट लौटाने वाले इन आवेदकों की शिकायत है कि उन्हें मिले फ्लैट की लोकेशन व आसपास का माहौल अच्छा नहीं है, नागरिक सुविधाओं का अभाव है और सुविधाओं के मुकाबले ज्यादा कीमत वसूली जा रही है। डीडीए यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश अवश्य कर रहा है कि जिन लोगों ने फ्लैट लौटाए, उन्हें घर की जरूरत नहीं थी।

दिल्ली में लोगों के सस्ते व अच्छे आशियाने का सपना पूरा करने के लिए डीडीए का गठन किया गया था, लेकिन यह निराशाजनक है कि डीडीए आज तक अपने गठन का उद्देश्य पूरा नहीं कर सका है। यही नहीं, इस वर्ष और उससे पहले वर्ष 2014 में आईं आवासीय योजनाएं विफल साबित हुई हैं। वास्तविकता यह है कि डीडीए जहां फ्लैट उपलब्ध करा रहा है, उनमें से कई स्थानों पर वह लोगों के लिए आवश्यक सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाया है। मौजूदा परिस्थिति में डीडीए को इस वर्ष आवंटित सभी फ्लैटों में प्राथमिकता के आधार पर सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि लोग फ्लैट लौटाने के बजाय फ्लैट लेने में और उनमें रहने में रुचि दिखाएं। वास्तविकता यह है कि डीडीए की विफलता के कारण ही दिल्ली में अनियोजित विकास हो रहा है और उस पर रोक लगाना संभव नहीं हो पा रहा है। दिल्ली में अवैध कॉलोनियों का जिस तरह विस्तार हो रहा है, उसे रोकने के लिए यह आवश्यक है कि डीडीए अपना काम ठीक ढंग से करे।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]